Edited By Tanuja,Updated: 19 Nov, 2024 02:14 PM
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जिनका कार्यकाल 20 जनवरी 2025 को समाप्त हो रहा है, को अपने अंतिम दिनों में एक और बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।///
Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जिनका कार्यकाल 20 जनवरी 2025 को समाप्त हो रहा है, को अपने अंतिम दिनों में एक और बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 50 अमेरिकी सांसदों ने एक पत्र लिखकर राष्ट्रपति बाइडेन से अपील की है कि वह पाकिस्तान सरकार पर दबाव डालें ताकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और अन्य "राजनीतिक कैदियों" को रिहा किया जा सके। यह मुद्दा अब अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक "कोल्ड वॉर" का रूप ले रहा है, जिसमें इमरान खान की हिरासत और पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाएं केंद्र में हैं।
क्या है मामला?
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सांसदों ने मिलकर यह पत्र लिखा है। शुक्रवार को भेजे गए इस पत्र पर 46 सांसदों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें से 20 रिपब्लिकन हैं। यह पत्र डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन सुसान वाइल्ड और उनके रिपब्लिकन समकक्ष जॉन जेम्स द्वारा संयुक्त रूप से लिखा गया है। सांसदों ने पाकिस्तान में मानवाधिकारों के बिगड़ते हालात और फरवरी 2024 के चुनावों में कथित "धांधली और अनियमितताओं" का जिक्र किया है। पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन और उसकी गठबंधन सहयोगी पीपीपी ने अमेरिकी सांसदों के पत्र को देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया है।
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यह पत्र 46 अमेरिकी डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को भेजा है, और यह एक महीने के भीतर दूसरी बार भेजा गया है। पहले पत्र के मुकाबले इस बार दोनों दलों, डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन, का समर्थन प्राप्त है। इस पत्र को डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन सुसान वाइल्ड और रिपब्लिकन सांसद जॉन जेम्स ने संयुक्त रूप से लिखा है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 46 सांसदों में से 20 रिपब्लिकन हैं। सांसदों ने फरवरी 2024 के चुनावों के बाद पाकिस्तान में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति और चुनावी प्रक्रिया में अनियमितताओं का उल्लेख किया है। चुनाव "गलत" और "बड़े पैमाने पर चुनावी धोखाधड़ी" से प्रभावित थे। कॉमनवेल्थ ऑब्जर्वर ग्रुप और यूरोपीय संघ की चुनाव निगरानी रिपोर्टों को दबाने का भी दावा किया गया।
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सांसदों ने जून 2024 में पारित प्रस्ताव एच. रेस. 901 का हवाला दिया, जो मानवाधिकारों और लोकतंत्र के संरक्षण के लिए अमेरिकी कार्रवाई का एक रूपरेखा माना जाता है। पीएमएल-एन और पीपीपी ने कहा है कि इस तरह का हस्तक्षेप पाकिस्तान की संप्रभुता के खिलाफ है। पाकिस्तान की सरकार ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक मामलों में दखलअंदाजी बताया है। यह पत्र पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में नई खटास पैदा कर सकता है और इमरान खान की हिरासत को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।