Edited By Tanuja,Updated: 16 Apr, 2025 11:58 AM
अमेरिका अब चीन को वैश्विक व्यापार में अलग-थलग करने की दिशा में एक नई रणनीति अपना रहा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ)* की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारी 70 से अधिक देशों के साथ...
Washington: अमेरिका अब चीन को वैश्विक व्यापार में अलग-थलग करने की दिशा में एक नई रणनीति अपना रहा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ)* की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारी 70 से अधिक देशों के साथ टैरिफ (आयात शुल्क) से जुड़े समझौतों की बातचीत शुरू करना चाहते हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चीन अपने उत्पादों को इन देशों के जरिए घुमा-फिराकर अमेरिका और अन्य बाजारों में न बेच सके।अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम केवल व्यापार सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि नैशनल सिक्योरिटी (राष्ट्रीय सुरक्षा) से भी जुड़ा हुआ है। अमेरिका नहीं चाहता कि चीन उसकी तकनीक या बाजार तक अवैध रास्तों से पहुंच बनाए।
क्या है अमेरिका की योजना ?
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका चाहता है कि जिन देशों के साथ वह व्यापार करता है, वे चीन से आने वाले सामान को अपने देश से निर्यात करने की अनुमति न दें, ताकि चीन अमेरिकी टैरिफ (ऊंचा आयात शुल्क) से बच न सके। यह रणनीति अमेरिका की "फ्रेंडशोरिंग" नीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसमें अमेरिका अपने भरोसेमंद व्यापारिक सहयोगियों के साथ मिलकर सप्लाई चेन को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है और इसमें चीन को बाहर रखने का प्रयास हो रहा है।
चीन क्यों निशाने पर ?
चीन पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि वह दूसरे देशों के जरिए अपने सामान को घुमा कर अमेरिका और यूरोप में बेचता है, जिससे टैरिफ नियमों का उल्लंघन होता है। उदाहरण के लिए, अगर अमेरिका ने चीन से सीधे किसी उत्पाद पर 25% टैक्स लगाया है, तो चीन वही उत्पाद किसी तीसरे देश (जैसे वियतनाम या मलेशिया) भेज देता है, जहां से वह टैक्स से बचते हुए अमेरिका पहुंचता है।
इन देशों से बातचीत की तैयारी
अमेरिका का लक्ष्य है कि वह यूरोप, एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के 70 से ज्यादा देशों को इस योजना में शामिल करे। इन देशों से कहा जाएगा कि वे ऐसे कानून और निगरानी प्रणाली अपनाएं जिससे चीन के "राउटिंग" (घुमा कर भेजने) के प्रयासों को रोका जा सके।
क्या हो सकता असर?
- चीन पर आर्थिक दबाव: अगर ज्यादा देश इस रणनीति का हिस्सा बनते हैं तो चीन को अपने सामान की बिक्री में काफी मुश्किल होगी।
- ग्लोबल ट्रेड में बदलाव: यह कदम वैश्विक व्यापार व्यवस्था को दो धड़ों में बांट सकता है – एक अमेरिका समर्थक, दूसरा चीन समर्थक।
- विकासशील देशों पर असर: कुछ छोटे देश, जो चीन के साथ व्यापार करते हैं, उन्हें अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है।