Edited By Tanuja,Updated: 18 Aug, 2024 04:01 PM
अमेरिका ने 2024 की पहली छमाही में चीन को पीछे छोड़ते हुए जर्मनी का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनने में सफलता हासिल की है। यह...
Washington: अमेरिका ने 2024 की पहली छमाही में चीन को पीछे छोड़ते हुए जर्मनी का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनने में सफलता हासिल की है। यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब जर्मनी, चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की रणनीति अपना रहा है। जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से जून 2024 तक, जर्मनी और अमेरिका के बीच व्यापार लगभग 127 बिलियन यूरो ($139 बिलियन) तक पहुँच गया, जबकि चीन के साथ व्यापार लगभग 122 बिलियन यूरो रहा। यह पिछले वर्षों के मुकाबले एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि चीन ने 2016 से लगातार आठ वर्षों तक जर्मनी के शीर्ष व्यापारिक साझेदार के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी थी।
चीन के साथ व्यापार में गिरावट
चीन के साथ जर्मन व्यापार में गिरावट के संकेत स्पष्ट हैं। चीन से जर्मन आयात में लगभग 8% की गिरावट आई, जो 73.5 बिलियन यूरो के बराबर है। इसके विपरीत, अमेरिका से आयात में 3.4% की कमी आई, जो 46.1 बिलियन यूरो पर आ गया। यह व्यापारिक बदलाव जर्मनी और चीन के बीच बढ़ती रणनीतिक दूरी को दर्शाता है।
जर्मनी की नई रणनीति
2023 में, जर्मन सरकार ने चीन पर अपनी पहली राष्ट्रीय रणनीति पेश की, जिसमें चीन को "भागीदार, प्रतिस्पर्धी और प्रणालीगत प्रतिद्वंद्वी" के रूप में लेबल किया गया। इस नीति का उद्देश्य चीन से जर्मनी की आर्थिक निर्भरता को कम करना है। इसके तहत संवेदनशील प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए चीन में काम करने वाली जर्मन कंपनियों के लिए निर्यात नियंत्रण और निवेश स्क्रीनिंग जैसे उपाय शामिल किए गए हैं।
बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव का प्रभाव
चीन के घरेलू नीतियों और बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने जर्मन फर्मों को उच्च मानक स्थापित करने के लिए मजबूर किया है। चीन में काम करने वाली जर्मन कंपनियाँ असमान बाजार पहुंच, आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक जोखिमों का सामना कर रही हैं। इसके बावजूद, कई प्रमुख जर्मन निगम अपनी बाजार उपस्थिति बनाए रखने के लिए चीन में महत्वपूर्ण निवेश कर रहे हैं।
भविष्य के व्यापार पैटर्न में अनिश्चितता
हालांकि, अमेरिका, चीन और जर्मनी में भू-राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक उतार-चढ़ाव के कारण भविष्य के व्यापारिक पैटर्न में अनिश्चितता बनी हुई है। जर्मन व्यापारिक परिदृश्य में यह बदलाव दिखाता है कि जर्मनी अब बीजिंग से अपनी दूरी बना रहा है और नए व्यापारिक संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है।