Edited By Pardeep,Updated: 12 Jan, 2025 12:45 AM
मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में कंपनी की आंतरिक और बाहरी नीतियों में बड़े बदलाव किए हैं। इन बदलावों के तहत मेटा ने पुरुषों के वॉशरूम से टैंपोन हटाने का आदेश दिया है। इस फैसले को कंपनी की नई रणनीति और हालिया प्रशासनिक दिशा में उठाए गए कदमों...
इंटरनेशनल डेस्कः मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में कंपनी की आंतरिक और बाहरी नीतियों में बड़े बदलाव किए हैं। इन बदलावों के तहत मेटा ने पुरुषों के वॉशरूम से टैंपोन हटाने का आदेश दिया है। इस फैसले को कंपनी की नई रणनीति और हालिया प्रशासनिक दिशा में उठाए गए कदमों के रूप में देखा जा रहा है।
द न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मेटा के सिलिकॉन वैली, टेक्सास और न्यूयॉर्क स्थित ऑफिसों में टैंपोन को पुरुषों के वॉशरूम से हटाने का निर्देश दिया गया है। पहले ये टैंपोन नॉन-बाइनरी और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों की सुविधा के लिए रखे गए थे, जो पुरुषों के वॉशरूम का उपयोग करते हैं।
इस फैसले ने एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के कर्मचारियों के बीच असंतोष पैदा कर दिया है। आंतरिक कम्युनिकेशन चैनलों पर कई कर्मचारियों ने नाराजगी व्यक्त की, वहीं कुछ ने अपने इस्तीफे की घोषणा भी की. कुछ कर्मचारियों ने कहा कि वे नई नौकरी की तलाश करेंगे।
कंपनी की नई रणनीति
मेटा के चीफ ग्लोबल अफेयर्स ऑफिसर जोएल कैपलन ने इस कदम को “कंपनी की प्रतिभा-आधारित नियुक्ति प्रक्रिया” का हिस्सा बताया। उनका कहना है कि अब कंपनी उम्मीदवारों का मूल्यांकन उनकी व्यक्तिगत क्षमताओं के आधार पर करेगी, न कि उनकी नस्ल, लिंग या अन्य विशेषताओं के आधार पर।
अन्य बड़े बदलाव
मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में घोषणा की थी कि मेटा अपने विवादास्पद फैक्ट-चेकिंग प्रथाओं को समाप्त करेगा और फेसबुक, इंस्टाग्राम और मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर “स्वतंत्र अभिव्यक्ति” को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, मेटा ने अपने “डायवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन” (DEI) प्रोग्राम्स को भी बंद कर दिया है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के अलावा, इस कदम को सोशल मीडिया पर भी काफी आलोचना मिली है। कई लोगों ने इसे "पिछड़ा हुआ" और "अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ" बताया, जबकि कुछ लोगों ने मेटा की नई नीति का समर्थन किया।
कंपनी के अनुसार, यह फैसला नई प्रशासनिक प्राथमिकताओं के तहत लिया गया है। कैपलन ने कहा कि यह मेटा को उसकी स्थापना के मूल्यों पर वापस ले जाने की कोशिश है।
क्या हो सकता है आगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम मेटा की कॉर्पोरेट संस्कृति में बड़े बदलावों का हिस्सा है। इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि अन्य कंपनियां भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
मेटा के इस फैसले ने कॉर्पोरेट दुनिया में एक नई बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कंपनी की यह नई नीति उसके कर्मचारियों और उसके ब्रांड पर कैसा प्रभाव डालती है। हालांकि, इस कदम ने मेटा को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।