Edited By Parminder Kaur,Updated: 30 Nov, 2024 11:49 AM
चीन के हुनान प्रांत में दुनिया का सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार खोजा गया है। इस भंडार का आकार करीब 1,000 मीट्रिक टन है और इसकी अनुमानित कीमत 83 अरब डॉलर (करीब 7 लाख करोड़ रुपये) बताई जा रही है। यह खदान दक्षिण अफ्रीका की साउथ डीप खदान से भी बड़ी है, जहां...
इंटरनेशनल डेस्क. चीन के हुनान प्रांत में दुनिया का सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार खोजा गया है। इस भंडार का आकार करीब 1,000 मीट्रिक टन है और इसकी अनुमानित कीमत 83 अरब डॉलर (करीब 7 लाख करोड़ रुपये) बताई जा रही है। यह खदान दक्षिण अफ्रीका की साउथ डीप खदान से भी बड़ी है, जहां 900 मीट्रिक टन स्वर्ण अयस्क है।
पिंगजियांग काउंटी में खजाना
यह भंडार हुनान प्रांत के पिंगजियांग काउंटी में पाया गया है। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, वहां दो किलोमीटर की गहराई पर 40 स्वर्ण शिराओं का पता चला है। इन शिराओं में स्वर्ण अयस्क जमा है और कई ड्रिलिंग के बाद चट्टानों के कोर में सोना पाया गया। 3डी मॉडलिंग से यह भी पता चला है कि खदान की गहराई में 3 किमी तक और स्वर्ण अयस्क हो सकते हैं।
स्वर्ण अयस्क से सोने की संभावना
हर मीट्रिक टन अयस्क से 138 ग्राम तक सोना निकाला जा सकता है। इससे चीन के सोने के कारोबार को बड़े फायदे की उम्मीद है। यह खोज चीन को वैश्विक स्वर्ण कारोबार में और मजबूत कर सकती है।
सोने के कारोबार में चीन की बढ़ती ताकत
चीन पहले से ही दुनिया के स्वर्ण उत्पादन में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, चीन दुनिया के कुल स्वर्ण उत्पादन का 10% करता है। इस साल की शुरुआत में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास 2,000 टन से ज्यादा सोना है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े सोने के भंडार वाले देशों में शामिल करता है। इसके बाद रूस और ऑस्ट्रेलिया का नंबर आता है।
स्वर्ण अयस्क बनने की प्रक्रिया
स्वर्ण अयस्क कई भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के तहत बनता है, जो लाखों सालों में पूरी होती है। इसमें गर्म और खनिज युक्त तरल पदार्थ पृथ्वी की अंदरूनी दरारों में घूमते रहते हैं। इन तरल पदार्थों में आसपास की चट्टानों का सोना घुलता है, जब तापमान में बदलाव होता है, तो ये तरल पदार्थ जम जाते हैं और इनकी सतह पर स्वर्ण अयस्क जमा हो जाता है।
चीन की स्वर्ण शक्ति
इस खोज से चीन को न केवल सोने के भंडार में वृद्धि होगी, बल्कि इसकी आर्थिक ताकत भी और बढ़ेगी, जिससे वैश्विक बाजार में चीन का दबदबा और मजबूत होगा।