Edited By Tanuja,Updated: 21 Jan, 2025 05:07 PM
दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल, जो हाल ही में मार्शल लॉ के अल्पकालिक आदेश के कारण गिरफ्तार हुए थे, पहली बार सार्वजनिक रूप से कोर्ट में पेश हुए...
International Desk: दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल, जो हाल ही में मार्शल लॉ के अल्पकालिक आदेश के कारण गिरफ्तार हुए थे, पहली बार सार्वजनिक रूप से कोर्ट में पेश हुए और अपने मार्शल लॉ के फैसले का बचाव किया, जो देश में राजनीतिक संकट का मुख्य कारण बना था। पूर्व राष्ट्रपति यून ने मंगलवार को संवैधानिक न्यायालय के समक्ष पेश होकर यह दावा किया कि उन्होंने सेना को सांसदों को नेशनल असेंबली से बाहर निकालने का कोई आदेश नहीं दिया था। अदालत में उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उनका मार्शल लॉ लागू करने का उद्देश्य देश में स्थिरता लाना था, न कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित करना।
यून सुक येओल द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा ने देश में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी। संसद ने उनके इस आदेश को खारिज करने के लिए मतदान की योजना बनाई थी। हालांकि, यून पर यह आरोप है कि उन्होंने सेना को सांसदों को असेंबली से बाहर निकालने का निर्देश दिया, ताकि इस मतदान को रोका जा सके। यून को पिछले महीने उनके आदेश के बाद हिरासत में लिया गया था। उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया चल रही है, और यह मामला अब संवैधानिक न्यायालय के समक्ष है। यह अदालत तय करेगी कि यून के फैसले को संवैधानिक माना जाए या नहीं।
यून के मार्शल लॉ के फैसले और उसके बाद की घटनाओं ने दक्षिण कोरिया को राजनीतिक संकट में डाल दिया है। देश में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन तेज हो गए हैं, और विपक्ष ने यून के आदेश को तानाशाही करार दिया है। यून ने अदालत में अपने आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए मार्शल लॉ आवश्यक था। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके फैसले का उद्देश्य लोकतंत्र को खतरे में डालना नहीं, बल्कि देश को संकट से बाहर निकालना था। यह मामला दक्षिण कोरिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। संवैधानिक न्यायालय का फैसला न केवल यून के राजनीतिक करियर बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी बेहद अहम होगा।