Edited By ,Updated: 25 Aug, 2016 09:51 AM
भारतीय ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को भाग्य, धर्म, अध्ययन, ज्ञान विवेक, मोक्ष, दांपत्य में स्थिरता, यात्रा, क्रय-विक्रय, शयनकक्ष व अस्वस्थता व उपचार का कारक माना जाता है। बृहत पाराशर होरा शास्त्रनुसार नवग्रह में से बृहस्पति सर्वाधिक रूप से मनुष्य पर...
भारतीय ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को भाग्य, धर्म, अध्ययन, ज्ञान विवेक, मोक्ष, दांपत्य में स्थिरता, यात्रा, क्रय-विक्रय, शयनकक्ष व अस्वस्थता व उपचार का कारक माना जाता है। बृहत पाराशर होरा शास्त्रनुसार नवग्रह में से बृहस्पति सर्वाधिक रूप से मनुष्य पर प्रभाव डालता है। कालपुरुष सिद्धांतानुसार बृहस्पति को सातवें और नवें घर का कारक माना गया है। वर्तमान गोचर के अनुसार भाग्य, साझेदारी व मैत्री का कारक बृहस्पति कन्या राशि में है। कालपुरुष सिद्धान्त के अनुसार कन्या राशि छठे भाव को संंबोधित करती है। कन्या राशि के वैरी, विवाद, कलह, शत्रु, रोग, पीढ़ा और दुर्भाग्य को सूचित करता है। वैश्विक धर्म कारक, मैत्री कारक, भाग्य कारक, मित्र कारक और सद्भावना कारक बृहस्पति का काल पुरुष के छठे भाव अर्थात बैरी स्थान पर आना एक बड़ी ज्योतिषी घटना माना जा सकता है। इस ज्योतिषीय घटना के कारण विश्व धर्म गुरु भारत का पड़ोसी देशों के साथ में कन्फ्यूजन पैदा करेगा। बृहस्पति के कन्या राशि में आने से लोगों और देशों की धार्मिक भावनाएं आहात होंगी।
बृहस्पति का काल पुरुष के वैरी भाव में आना लोगों के मन पर गहरा असर डालेगा। इस ज्योतिषीय घटना से विश्व को अचंभित करने वाले परिणाम देखने पड़ सकते हैं। इसके प्रभाव से देशों के बीच चल रही संधि के बीच दरार पैदा होगी। जो धार्मिक शीत युद्ध जैसे हालत पैदा करेगी। दिग्दर्शन प्रणाली के अनुसार बृहस्पति उत्तर पूर्व दिशा को संबोधित करता है तथा कन्या राशि पश्चिम को संबोधित करती है अर्थात समस्या भारत से उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी तथा पश्चिमी देशो के साथ जन्म लेगी। इसमें से कन्या राशि प्रधान उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी तथा पश्चिमी देश जैसे की पाकिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्की, पनामा और पोलैंड आदि देशों में आर्थिक, धार्मिक और वैचारिक उन्माद पैदा होगा क्योंकि भारत एक धनु प्रधान राशि वाला देश है अतः इस ज्योतिषीय घटना का प्रभाव भारत पर भी बड़े रूप में देखा जा सकता है। इसका प्रभाव भारत के उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी तथा पश्चिमी राज्यों में सर्वाधिक रूप से दिखाई देगा। इन राज्यों में भी लोगों की धार्मिक भावनाएं आहात होंगी।
कालपुरुष सिद्धान्त के अनुसार बृहस्पति छठे राशि से दसवीं (मकर), बाहरवीं (मीन) व दूसरी (वृष) राशि पर सर्वाधिक रूप से दिखाई देगा। भारत के प्रभाव भारत के उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी तथा पश्चिमी राज्य जो की कन्या, मकर, मीन और वृष राशि आधारित है जैसे की पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों पर सर्वाधिक असर पड़ेगा। ऐसे ही परिणाम भारत से उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी तथा पश्चिमी देशों व महादीपों जो की कन्या, मकर, मीन और वृष राशि आधारित है जैसे की जर्मनी, जॉर्डन, डेन्मार्क, चेक रिपब्लिक, वेनेजुएला, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अम्रीका (यू.एस.ए), यूनाइटेड किंग्डम (इंग्लैंड), आदि देशों और यूरोप जैसे महादीप पर भी नजर आएगा। गुरु के कन्या राशि के गोचर के रुझानों पर नजर डालने से पता चलेगा की जब-जब गुरु कन्या में आया है तब-तब धार्मिक कलह हुई है। सन 1969 व 1992 में जब गुजरात दंगे हुए व विवादित बाबरी-मस्जिद विध्वंश के समय गुरू कन्या राशि में था। इसके कारण भयंकर दंगे भड़के व जान-माल की हानि हुई।
बृहस्पति के इस गोचर से विश्व स्तर पर आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक उथल-पुथल रहेगी। आर्थिक दृष्टि से मंगलवार दिनांक 12.09.16 प्रातः 07 बजकर 59 मिनट तक का समय अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक रहेगा। कालपुरुष सिद्धान्त के अनुसार कन्या राशि को भूतल पर उगी हरियाली माना गया है और मीन राशि को आकाश माना गया है। इस ज्योतिषीय घटना से आकाश के स्वामी बृहस्पति में भूतल पर उगी हरियाली के रूप में आना खनिज, कच्चे तेल, खाद्यान, सब्जियों, अनाज के भावों में बहुत बड़ी उथल-पुथल रहेगी। कच्चे तेल के दाम अकस्मात रूप से उठेंगे इसी के साथ ही कच्चे तेल के दाम धड़ाम से अपने निम्न स्टार पर भी आ सकते हैं। यही हाल सोने का भी रहने वाला है। सोने,चांदी व समस्त दाल-दलहन के भाव अक्तूबर 2016 की शुरुआत से चढ़ने प्रारम्भ होने की संभावना है तथा जनवरी 2017 में इसके गिरने की पूरी संभावना बनेगी। गुरु का पाताल में विचरण कच्चे तेल के दामों में भारी उठाव के साथ-साथ गिरावट लेकर आएगा। कच्चे तेल में दिसंबर 2016 से जनवरी 2017 तक भारी उठाव रहने की संभावना है तथा फरवरी 2017 में इन दामों में भारी गिरावट देखी जाने की संभावना है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com