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नवरात्रि 2019: कंकाली मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम, जानें मंदिर की खासियत

Edited By Jyoti,Updated: 03 Oct, 2019 03:14 PM

devotees gathered in kankali temple at bhopal

जैसे कि जानते हैं कि नवरात्रों में मां के मंदिरों में भक्तों की अधिक भीड़ देखने को मिलती है। हर कोई मैय्या के सिद्धपीठों के दर्शन करने की कामना को रखते हुए देश-विदेश के कोने-कोने में जाता है।

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जैसे कि जानते हैं कि नवरात्रों में मां के मंदिरों में भक्तों की अधिक भीड़ देखने को मिलती है। हर कोई मैय्या के सिद्धपीठों के दर्शन करने की कामना को रखते हुए देश-विदेश के कोने-कोने में जाता है। भोपाल के जिले ग्राम गुदाबल स्थित प्रसिद्ध कंकाली देवी मंदिर में भी शारदीय नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ आम दिनों से कई अधिक देखी गई। लोक मान्यताओं के अनुसार मां कंकाली की ख्याति देश-विदेश में बैठए उनके भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। रायसेन से पंजाब केसरी के रिपोर्टर नसीम अली की रिपोर्ट के अनुसार नवरात्र के पहले ही दिन दूरदराज से मां कंकाली के चमत्कार और अद्भुत प्रतिमा के दर्शन करने लोगों का तांता लग गया।
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इस मंदिर से संबंधित प्रचलित मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के अंतिम दिन प्रतिमा के स्वरूप में क्षणिक परिवर्तन होता है। यहां स्थापित मां की प्रतिमा की टेडी गर्दन इस दिन निशा काल मे सीधी प्रतीत होने लगती है। हालांकि इस स्वरूप का कोई प्रमाण नही मिल सका। परंतु मान्यता के अनुसार यहां इस चमत्कारी क्षणों के साक्षी केवल सौभाग्यशाली भक्त ही बन पाते हैं।

बता दें भोपाल में स्थित कंकाली देवी का ये मंदिर रायसेन से 30 केलोमीटर दूर पर स्थित है। बताया जाता है ये मंदिर लगभग 1731 ईं में खुदाई के दौरान मिला था। परुतु मंदिर के अस्तित्व में आने से जुड़ा कोई प्रमाण नहीं मिलता है।
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यहां पर प्रचलित कथाओं के अनुसार एक स्थानीय निवासी "हर लाल मीणा" को देवी ने स्वप्न में आकर दर्शन दिए थे और स्वयं इस मंदिर के बारे में बताया था। सपने में आकर देवी ने स्वयं इस मंदिर के बारे में बताए थी। जिसके बाद स्वप्न में बताए गए स्थान पर ग्रामीणों द्वारा ज़मीन में खुदाई की गई जिसके बाद यहां माता की ये प्रतिमा मिली। बता दें जल रही ज्योत करीबन 50 साल प्रजवल्लित है।

पहले समय में इस मंदिर में बलि देने की भी प्रथा थी जिसे काफी ववक्ट पहले बंद कर दिया गया। धार्मिक किंवदंतियों के मुताबिक भक्त यहां अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए कलावा के रूप में एक बंधन बांधते हैं जिसे मनोकामना पूरा होने आकर खोल देते हैं।  
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