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अश्वमेध यज्ञ का पुण्य प्राप्त करने के लिए करें ये खास काम

Edited By ,Updated: 04 Mar, 2016 04:50 PM

ashwamedha

गौ का विश्वरूप वैदिक साहित्य के अनुसार प्रजापति गौ के सींग, इंद्र सिर, अग्रि ललाट और यम गले की संधि है। चंद्रमा मस्तिष्क, पृथ्वी जबड़ा, विद्युत जीभ

गौ का विश्वरूप
वैदिक साहित्य के अनुसार प्रजापति गौ के सींग, इंद्र सिर, अग्रि ललाट और यम गले की संधि है। चंद्रमा मस्तिष्क, पृथ्वी जबड़ा, विद्युत जीभ, वायु दांत और देवताओं के गुरु बृहस्पति इसके अंग हैं। 
 
इस तरह यह स्पष्ट है कि गौ में सारे देवताओं का वास है।  धनु व मीन राशि वाले लोगों को व्यापारिक, राजनीतिक व पारिवारिक संकटों से बचने के लिए पीले रंग की गाय विधि-विधान के साथ वीरवार को किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को श्रद्धा के साथ दान करनी चाहिए। सिंह व कर्क राशि वाले लोगों को भी प्रतिदिन गौ माता को रोटी खिलानी चाहिए, इससे संतान पीड़ा व स्वास्थ्य कष्ट का शमन होता है। जब गौ माता को रोटी दें तो इस मंत्र का उच्चारण करें-
 
त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्।
त्वं तीर्थं सर्वतीर्थानां नमस्तेऽस्तु सदानघे।।
 
वृद्धजनों को नित्य गौ माता का दर्शन करना चाहिए, इससे उन्हें शीघ्र ही क्षकारणभूत तत्वज्ञान की प्राप्ति होती है।
 
भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ गाय चराने वनों में जाते थे। यह बात दृढ़ता के साथ लिखी गई है कि सदा निरपराध एवं अवध्य गौ माता का वध करना ऐसा पाप है जिसका कोई प्रायश्चित ही नहीं है। जो पुण्य अश्वमेध या अनेक यज्ञों को करने से मिलता है वह पुण्य मात्र गौ माता की सेवा करने से ही प्राप्त हो जाता है।
 

—पं. उमाशंकर शास्त्री 

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