Edited By Mahima,Updated: 18 Nov, 2024 12:45 PM
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। नर्स मेघा जेम्स ने अपनी जान की परवाह किए बिना 15 बच्चों को बचाया, हालांकि इस दौरान वह खुद झुलस गईं। अस्पताल स्टाफ ने शीशे तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला। घटना ने...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को हुए एक दर्दनाक हादसे में 10 नवजात बच्चों की जान चली गई, जब अस्पताल के नवजात शिशु चिकित्सा इकाई (NICU) में आग लग गई। यह हादसा अस्पताल के बच्चों के वार्ड में हुआ, जहाँ आग की लपटों के बीच नर्स मेघा जेम्स ने अपनी जान की परवाह न करते हुए 15 बच्चों की जान बचाई। इस घटनाक्रम ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया, और नर्स मेघा की बहादुरी ने लोगों को यह संदेश दिया कि सच्ची मानवता और साहस किसी भी विपरीत परिस्थिति में हार नहीं मानते।
आग लगने की घटना
यह हादसा शुक्रवार की सुबह हुआ, जब NICU में अचानक एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। यह घटना इतनी तेज़ी से फैल गई कि अस्पताल में अफरातफरी मच गई। डॉक्टर और नर्सों सहित अस्पताल के अन्य कर्मचारियों के लिए यह स्थिति बेहद कठिन थी, क्योंकि वहां नवजात बच्चों की संख्या भी अधिक थी और अस्पताल में आग फैलने से अंधेरा हो गया था, जिससे किसी को भी स्पष्ट रूप से स्थिति को समझने और बचाव कार्य करने में कठिनाई हो रही थी।
नर्स मेघा जेम्स की बहादुरी
मेघा जेम्स, जो उस समय ड्यूटी पर थीं, ने बिना किसी देरी के तुरंत ही अपनी जिम्मेदारी का एहसास करते हुए बचाव कार्य में भाग लिया। एक रिपोर्ट के अनुसार, मेघा एक बच्चे को टीका लगाने के लिए सिरिंज लेने गई थीं। जब वह वापस लौटीं, तो उन्होंने देखा कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लगी हुई है। आग की लपटें इतनी तेज़ी से फैल रही थीं कि पूरे वार्ड में धुंआ और अंधेरा छा गया था। मेघा ने तुरंत ही एक वार्ड बॉय को बुलाया और उसे आग बुझाने का यंत्र लाने को कहा। हालांकि, आग फैल चुकी थी और जल्द ही कमरे में भारी धुआं भर गया। इस दौरान, मेघा के कपड़े जलने लगे, और उनकी चप्पल में भी आग लग गई। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह न करते हुए बच्चों को बचाने का काम जारी रखा। उनकी सलवार भी जल गई, और उन्होंने इसे तुरंत उतारकर फेंक दिया। इसके बावजूद, वह बिना रुके बच्चों को बाहर निकालने में जुट गईं। मेघा ने बताया, "इस दौरान मेरी चप्पल में आग लग गई और मेरा पैर जलने लगा। फिर मेरी सलवार में भी आग लग गई, लेकिन मैंने उसे उतारकर फेंक दिया और दूसरे कपड़े पहनकर वापस बचाव कार्य में जुट गई। उस समय मेरे दिमाग में बस यही था कि बच्चों को बचाना है, बाकी सब बाद में।"
बच्चों को बचाने की कोशिश
मेघा जेम्स ने अपनी टीम के अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर बच्चों को बचाने की पूरी कोशिश की। अस्पताल के कर्मचारियों ने NICU के शीशे तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला। इस कठिन प्रयास में करीब 15 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। मेघा ने बताया कि पूरे वार्ड में 23-24 बच्चे थे, और उन सभी को बाहर निकालने का प्रयास किया गया था। हालांकि, अगर बिजली नहीं गई होती, तो वे और बच्चों को बचा सकते थे। इस दौरान, आग के फैलने के कारण अस्पताल में रोशनी चली गई थी, जिससे बचाव कार्य और भी कठिन हो गया।
अस्पताल प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया
अस्पताल के सहायक नर्सिंग अधीक्षक नलिनी सूद ने मेघा जेम्स की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा, “मेघा ने बच्चों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब उनके कपड़ों में आग लगी, तब भी वह बच्चों को बचाने के लिए पूरी तरह से समर्पित थीं। उनके साहस ने कई बच्चों की जान बचाई।“ अस्पताल के अन्य कर्मचारियों ने भी बहादुरी से बचाव कार्य किया, जिसमें शीशे तोड़कर बच्चों को बाहर निकालने और आग को बुझाने की कोशिशें शामिल थीं। इसके बाद अस्पताल ने सभी कर्मचारियों को उनकी तत्परता और साहस के लिए सम्मानित करने की बात की। झांसी के जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि “अस्पताल में पूरी तरह से प्रोटोकॉल का पालन किया गया था, और इसी कारण कई बच्चों की जान बचाई जा सकी। हालांकि, एक नवजात शिशु, जो बचाया गया था, वह रविवार को इलाज के दौरान चल बसा।”
अग्नि सुरक्षा और अस्पताल में सुधार की आवश्यकता
इस घटना ने एक बार फिर अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों की अहमियत को रेखांकित किया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि प्रोटोकॉल का पालन किया गया था, लेकिन आग के फैलने की गति और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई सवाल उठने लगे हैं। क्या अस्पताल में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था पूरी तरह से पर्याप्त थी? क्या बच्चों के लिए अन्य सुरक्षात्मक उपाय किए गए थे? अस्पताल के अधिकारियों ने इस हादसे की जांच शुरू कर दी है, और स्थानीय प्रशासन ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। अब यह देखा जाएगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।
नर्स मेघा जेम्स की स्थिति
नर्स मेघा जेम्स को आग में झुलसने के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है। उनके इलाज का काम जारी है, और उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें उचित चिकित्सा देखभाल दी जा रही है, और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
स्थानीय लोगों और समाज की प्रतिक्रिया
इस हादसे के बाद स्थानीय समुदाय में एक नई भावना जागृत हुई है। लोगों ने नर्स मेघा जेम्स के साहस और समर्पण की सराहना की है, जो किसी भी सामान्य व्यक्ति से परे थी। सोशल मीडिया पर भी मेघा जेम्स के साहसिक कार्य की चर्चा हो रही है और लोग उन्हें असली नायक मान रहे हैं। कई संगठनों और व्यक्तियों ने उनके साहस को सलाम किया है, और उनके संघर्ष की कहानी को प्रेरणादायक बताया है।
झांसी के इस अस्पताल में घटित यह दर्दनाक घटना न केवल एक हृदयविदारक हादसा थी, बल्कि इसने यह भी सिद्ध किया कि सही समय पर सही कदम उठाने वाले लोग किसी भी आपात स्थिति में सचमुच नायक बन सकते हैं। नर्स मेघा जेम्स का साहस और उनके समर्पण ने कई जीवन बचाए, और उनकी यह बहादुरी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगी। यह घटना अस्पतालों में सुरक्षा उपायों की जरूरत को भी उजागर करती है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और मरीजों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।