Edited By Tanuja,Updated: 24 Nov, 2024 03:41 PM
ब्रिटेन में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में आयुर्वेद को औपचारिक रूप से शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है...
London: ब्रिटेन में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में आयुर्वेद को औपचारिक रूप से शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ब्रिटेन की सर्वदलीय संसदीय समिति ने आयुर्वेद को एक प्रभावी और बेहतर चिकित्सा पद्धति मानते हुए इसे स्वास्थ्य सेवा में अपनाने की सिफारिश की है। इस पहल के तहत, अगले पांच वर्षों में ब्रिटेन में लगभग 10,000 आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी। भारतीय आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए यह एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है। ब्रिटेन में आयुर्वेद आधारित सौंदर्य, शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवाओं के संस्थानों की संख्या भी अगले पांच वर्षों में 100 से बढ़कर 500 होने की उम्मीद है।
आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भर्ती के लिए भारतीय डिग्री को मान्यता दी जाएगी, बशर्ते वह सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थानों से ली गई हो। यह भारतीय छात्रों और डॉक्टरों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। ब्रिटेन में हर 10 में से 6 लोग जीवन में कम से कम एक बार आयुर्वेदिक उपचार का सहारा ले चुके हैं। "आयुर्वेद सेंटर फॉर एक्सीलेंस" (ACE) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल में आयुर्वेद से जुड़े गूगल सर्च में 380% का इजाफा हुआ है। सबसे ज्यादा स्किन और हेयर केयर के लिए आयुर्वेदिक उपचार की खोज हुई है, जबकि पेट संबंधी बीमारियां तीसरे स्थान पर रहीं।
ब्रिटिश कॉलेज फॉर आयुर्वेद में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या इस साल 70% तक बढ़ी है। इनमें ब्रिटिश छात्रों के बाद फ्रांस और जर्मनी के छात्र दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। ब्रिटेन में सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर भी आयुर्वेद को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। आयुर्वेद के औपचारिक रूप से एनएचएस का हिस्सा बनने से इसे वैश्विक स्तर पर और मान्यता मिलने की संभावना है। यह कदम न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा, बल्कि भारतीय डॉक्टरों और छात्रों को भी अंतरराष्ट्रीय अवसर प्रदान करेगा।