Edited By Mahima,Updated: 03 Jan, 2025 11:45 AM
ED ने ऑपरेशन "रियल कुबेर" के तहत 1000 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग नेटवर्क का खुलासा किया, जिसमें आतंकी फंडिंग, राजनीतिक और धार्मिक गतिविधियों का कनेक्शन पाया गया। 255 फर्जी बैंक अकाउंट्स से अवैध लेन-देन हुआ, जिसका इस्तेमाल चुनावी माहौल बिगाड़ने और...
नेशनल डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में मालेगांव मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बड़े ऑपरेशन का पर्दाफाश किया है, जिसे "ऑपरेशन रियल कुबेर" नाम दिया गया है। यह ऑपरेशन लगभग 1000 करोड़ रुपये के अवैध वित्तीय लेन-देन से जुड़ा हुआ है और इसमें मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग, राजनीतिक भ्रष्टाचार और धार्मिक उकसाव के जटिल कनेक्शन का पता चला है। एजेंसी ने यह पाया कि यह एक जटिल और बहु-स्तरीय मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क था, जिसमें फर्जी बैंक अकाउंट्स, सेल कंपनियां, हवाला ऑपरेटर, और राजनीतिक रूप से सक्रिय लोगों का गठजोड़ था।
ऑपरेशन 'रियल कुबेर' का खुलासा
ED की जांच के दौरान सामने आया कि 255 प्राइमरी बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था। इन खातों के माध्यम से हवाला ट्रांजेक्शन्स और अवैध तरीके से पैसे ट्रांसफर किए जा रहे थे। ये बैंक अकाउंट्स विशेष रूप से आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग, धार्मिक उकसाव और राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। इन अकाउंट्स को हिंदू युवकों के नाम पर धोखाधड़ी से खोला गया था, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग के इस बड़े नेटवर्क को छुपाया जा सके और संदिग्ध गतिविधियों को सही ठहराया जा सके।
आतंकी फंडिंग से जुड़ा नेटवर्क
ED के सूत्रों के अनुसार, इस मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण कड़ी आतंकी फंडिंग से जुड़ी हुई थी। जांच के दौरान यह पता चला कि इन 255 बैंक अकाउंट्स से कुछ संदिग्ध ट्रांजेक्शन्स का लिंक आतंकी संगठनों और कट्टरपंथी गतिविधियों से जुड़ा था। विशेष रूप से, कुछ पैसे कट्टरपंथी धार्मिक संगठनों को दिए गए थे, ताकि वे हिन्दू-मुस्लिम तनाव को बढ़ावा दें और धार्मिक विभाजन को और बढ़ाएं। इसके अलावा, इन फंड्स का इस्तेमाल विभिन्न चुनावी राज्यों में राजनीतिक अशांति फैलाने, चुनावी माहौल को उकसाने और सांप्रदायिक उकसाव फैलाने के लिए किया गया था।
मतदाताओं के बीच असंतोष और तनाव
ED के जांचकर्ताओं ने यह पाया कि इन संदिग्ध खातों से जुड़े कई पैसे राजनीतिक दलों के नेताओं के खातों से जुड़े थे। इन पैसे का इस्तेमाल चुनावी माहौल को प्रभावित करने, विशेष रूप से विधानसभा चुनावों के दौरान, और धार्मिक और साम्प्रदायिक मुद्दों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। इस प्रकार के वित्तीय लेन-देन का उद्देश्य विभिन्न राज्य चुनावों में मतदाताओं के बीच असंतोष और तनाव फैलाना था। एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह था कि इन अकाउंट्स से चुनावी प्रचार के लिए धन और धार्मिक प्रोपगेंडा को बढ़ावा देने के लिए भी पैसे निकाले गए थे।
हिन्दू-मुस्लिम के बीच मतभेद पैदा करना
जांच में यह भी सामने आया कि इन संदिग्ध खातों से 379 करोड़ रुपये की राशि निकाली गई, जिसका एक हिस्सा धार्मिक उकसाव फैलाने, हिन्दू-मुस्लिम के बीच मतभेद पैदा करने, और एसटी, ओबीसी जैसी जातिगत श्रेणियों के बीच राजनीतिक अशांति बढ़ाने के लिए खर्च किया गया। इसके अलावा, इन पैसों का कुछ हिस्सा कट्टरपंथी संगठनों को भेजा गया था, ताकि वे अपने धार्मिक प्रचार को फैलाने के साथ-साथ एक विशेष धार्मिक समुदाय के बीच डर और नफरत का माहौल पैदा कर सकें।
फर्जी कंपनियों और दस्तावेजों के जरिए लेन-देन
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि यह मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क फर्जी कंपनियों के जाल पर आधारित था। इन कंपनियों का उद्देश्य पैसे की अवैध आवाजाही को वैध बनाना था। इन कंपनियों के खातों का इस्तेमाल करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पैसों का लेन-देन किया गया। इन कंपनियों का संचालन एक विस्तृत नेटवर्क के तहत किया जा रहा था, जिसमें राजनीतिक और धार्मिक जुड़े हुए तत्व शामिल थे। फर्जी कंपनियों और उनके खातों का इस्तेमाल करने से इस मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क को छुपाना आसान हो गया था और इसकी पहचान को मिटाने के लिए विभिन्न धोखाधड़ी का सहारा लिया गया।
19 बैंक अकाउंट्स में 114 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर
एक और अहम जानकारी जो ED को मिली, वह मालेगांव मनी लांड्रिंग से जुड़ी है। जांच के दौरान यह पता चला कि मालेगांव के 19 बैंक अकाउंट्स में 114 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर हुई थी, जो इन 255 संदिग्ध बैंक अकाउंट्स से जुड़ी हुई थी। इन ट्रांजेक्शन्स का इस्तेमाल मालेगांव में विभिन्न संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। मालेगांव में मर्चेंट कोऑपरेटिव बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 19 अकाउंट्स में ये पैसे भेजे गए थे, जो मनी लांड्रिंग के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी बने।
फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल
ED ने मालेगांव मनी लांड्रिंग मामले में मुख्य आरोपी सिराज मेमन को गिरफ्तार किया है, जिसने इन फर्जी बैंक खातों का संचालन किया था। सिराज मेमन पर आरोप है कि उसने इन अकाउंट्स के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। पूछताछ के दौरान सिराज ने यह स्वीकार किया कि उसने ये खातें महमूद भागड़ के निर्देश पर खोले थे, जिसे "चैलेंजर किंग" या "MD" के नाम से भी जाना जाता है। महमूद भागड़ फिलहाल फरार है और ED उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।
नेटवर्क से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
ED की जांच अब इन फर्जी कंपनियों, संदिग्ध बैंक अकाउंट्स और इनसे जुड़े लोगों के बीच ट्रांजेक्शन्स को और विस्तार से देख रही है। एजेंसी ने इस नेटवर्क से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है और उन सभी को पकड़ने की कोशिश कर रही है, जिनका इस मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन में हाथ था। इसके अलावा, ED जल्द ही इस नेटवर्क से जुड़े और संभावित आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की योजना बना रही है।