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121 की जान गई, लेकिन भोले बाबा को मिली क्लीन चिट ! हाथरस भगदड़ पर आयोग की रिपोर्ट आई सामने

Edited By Mahima,Updated: 21 Feb, 2025 09:22 AM

121 people lost their lives but bhole baba got a clean chit hathras stampede

हाथरस भगदड़ कांड में 121 लोगों की मौत के बाद न्यायिक आयोग ने आयोजकों और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, कथावाचक 'भोले बाबा' को हादसे से अलग रखते हुए उन्हें क्लीन चिट दी गई है। आयोग ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा इंतजामों को...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 2 जुलाई 2024 को हुए भयंकर भगदड़ कांड में 121 लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह हादसा एक सत्संग कार्यक्रम के दौरान हुआ था, और अब इस मामले में न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस कांड के लिए मुख्य रूप से सत्संग के आयोजक जिम्मेदार थे, हालांकि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही को भी गंभीर चूक माना गया है। 

आयोग ने किसे जिम्मेदार ठहराया?
रिपोर्ट में बताया गया है कि भगदड़ की वजह आयोजकों की लापरवाही थी। सत्संग के आयोजकों ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया था। आयोजकों ने निर्धारित अनुमति शर्तों का उल्लंघन किया था, और कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित लोगों की संख्या बहुत अधिक थी। यह अव्यवस्था ही भगदड़ के कारण बनी। आयोजकों ने सुरक्षा के लिए कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे, जिससे एक भयंकर हादसा हुआ। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस की भी बड़ी जिम्मेदारी थी। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए थे, और सुरक्षा व्यवस्था की चूक से भगदड़ मच गई। अगर पुलिस और प्रशासन सतर्क होते और उचित कदम उठाए होते, तो यह हादसा रोका जा सकता था।

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भोले बाबा को मिली क्लीन चिट
रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण बात सामने आई है कि सत्संग के आयोजक कथावाचक 'भोले बाबा' को इस हादसे से पूरी तरह से अलग रखा गया है। न्यायिक आयोग ने इस घटनाक्रम में बाबा की कोई भूमिका नहीं पाई और उन्हें क्लीन चिट दी है। एसआईटी (SIT) द्वारा की गई जांच के समान ही आयोग ने भी यह निष्कर्ष निकाला कि बाबा की ओर से किसी प्रकार की लापरवाही या अव्यवस्था नहीं थी। यह हादसा आयोजकों की कुप्रबंधन और पुलिस की लापरवाही के कारण हुआ।

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आयोग की सिफारिशें
आयोग ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:

1. सुरक्षा निरीक्षण: बड़े आयोजनों से पहले पुलिस अधिकारियों को स्थल का व्यक्तिगत निरीक्षण करना अनिवार्य किया जाए। इस निरीक्षण से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि आयोजन स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था ठीक से लागू की गई है।

2. अनुमति शर्तों का पालन: आयोजकों को आयोजनों के लिए दी गई अनुमति की शर्तों का सख्ती से पालन करना होगा। यदि शर्तों का उल्लंघन होता है, तो आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

3. भीड़ प्रबंधन: आयोजनों में भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष प्रबंध किए जाएं। पुलिस और प्रशासन को पर्याप्त संसाधनों के साथ भीड़ को नियंत्रित करने की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की भगदड़ जैसी घटनाओं से बचा जा सके। आयोग ने यह भी कहा कि आयोजकों को बड़े कार्यक्रमों के लिए आवश्यक सुरक्षा इंतजाम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए, और ऐसे आयोजनों में जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।

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सरकार से कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई 
न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के बाद सरकार से कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है। रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के आधार पर प्रशासनिक व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं। इस घटना ने न केवल हाथरस बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, और अब इसे दोबारा होने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। यह घटना एक चेतावनी के रूप में सामने आई है कि आयोजकों और पुलिस की जिम्मेदारी में कोताही नहीं होनी चाहिए। लोगों की जान की सुरक्षा से जुड़े इस तरह के आयोजनों में अगर सुरक्षा इंतजाम न किए जाएं, तो इसका परिणाम घातक हो सकता है। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट ने इस कांड के मुख्य कारणों को स्पष्ट किया और आगे ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

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