Edited By Rohini Oberoi,Updated: 18 Apr, 2025 01:02 PM
पुणे में एक चक्की मालिक की कहानी ने दिखा दिया है कि भारत में व्यापार करने के लिए कितना मुश्किल रास्ता तय करना पड़ता है। एक साधारण आटा चक्की चलाने के लिए उसे 16 अलग-अलग परमिट्स और लाइसेंस लेने पड़े जो अब वह अपनी दुकान की दीवार पर फ्रेम करवा कर टांग...
नेशनल डेस्क। पुणे में एक चक्की मालिक की कहानी ने दिखा दिया है कि भारत में व्यापार करने के लिए कितना मुश्किल रास्ता तय करना पड़ता है। एक साधारण आटा चक्की चलाने के लिए उसे 16 अलग-अलग परमिट्स और लाइसेंस लेने पड़े जो अब वह अपनी दुकान की दीवार पर फ्रेम करवा कर टांग चुका है। यह कहानी 'अनीज़ ऑफ डूइंग बिजनेस' की पोल खोलती है जहां हर छोटे-बड़े काम के लिए कई सरकारी मंजूरियों की जरूरत पड़ती है।
यह दिलचस्प मामला तब सामने आया जब पुणे के चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट नितिन धर्मावत ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की जिसमें एक छोटी आटा चक्की के मालिक के द्वारा फ्रेम किए गए परमिट्स और लाइसेंस दिखाई दे रहे थे। इस तस्वीर में एक ओर मजेदार बात यह थी कि चक्की मालिक ने भारत के संविधान की एक कॉपी भी फ्रेम करके दीवार पर टांग रखी थी। यह सभी दस्तावेज़ इस तरह सजे थे जैसे वह किसी ट्रॉफी गैलरी का हिस्सा हों।
नितिन धर्मावत ने अपनी पोस्ट में तंज कसते हुए लिखा, "भारत में बिजनेस करना कितना आसान है इसका बेस्ट उदाहरण!" यह कहानी उस नौकरशाही की सच्चाई दिखाती है जहां एक छोटे से व्यापार को शुरू करने के लिए भी किसी को कई मंजूरियां और लाइसेंस हासिल करने पड़ते हैं। नितिन ने यह भी बताया कि चक्की के मालिक को इन परमिट्स के लिए लंबा समय और काफी मेहनत करनी पड़ी थी।
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चक्की के मालिक ने इन 16 परमिट्स को एक कलेक्शन के रूप में अपनी दुकान की दीवार पर टांग रखा है ताकि वह अपने ग्राहकों को यह बता सकें कि किस कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद उन्होंने अपनी दुकान शुरू की है। इस मामले पर सोशल मीडिया पर लोगों ने मजे लेते हुए कई टिप्पणियां कीं। एक यूजर ने लिखा, "16 परमिट गेहूं पीसने के लिए!" वहीं एक अन्य यूजर ने कहा, "वह बहुत मेहनत करते हैं लेकिन लोग फिर भी पैक किया हुआ आटा ही पसंद करते हैं।"
इस हंसी-मजाक के बीच यह असल में छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकारी दफ्तरों में समय बर्बाद करना और रिश्वत की संस्कृति इन छोटे कारोबारियों के लिए एक रोजमर्रा का संघर्ष बन चुकी है। फिर भी इस चक्की वाले भाईसाहब ने हार नहीं मानी और आखिरकार सभी मंजूरियां हासिल कर दीं। उनकी हिम्मत को सलाम करना चाहिए।