Edited By Tanuja,Updated: 26 Sep, 2024 06:51 PM
![1971 indian airlines hijacking in pakistan](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_9image_18_50_298805812ganga1-ll.jpg)
30 जनवरी 1971 को हाशिम और अशरफ कुरैशी विस्फोटक सामग्री लेकर श्रीनगर एयरपोर्ट से जम्मू के लिए रवाना होने वाले इंडियन एयरलाइंस के विमान 'गंगा' में चढ़ने में कामयाब हो गए।
Peshawar: भारतीय विमानन इतिहास में 30 जनवरी 1971 तारीख काले अक्षरों में लिखी गई, जब भारतीय एयरलाइंस के सबसे पुराने विमानों में से एक, फॉकर F27 'गंगा' को दो आतंकवादियों ने हाईजैक कर पाकिस्तान के लाहौर ले जाने पर मजबूर किया। 'गंगा' फ्लाइट ने श्रीनगर से जम्मू के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन बीच रास्ते में इसे आतंकियों ने अपने कब्जे में लेकर पाकिस्तान की सीमा की ओर मोड़ दिया। यह हाईजैकिंग सिर्फ एक विमान के अपहरण तक सीमित नहीं थी; इसके पीछे एक बड़ी राजनीतिक और आतंकवादी साजिश थी। नेशनल लिबरेशन फ्रंट के कश्मीरी नेता मकबूल भट ने कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने के लिए इस हाईजैकिंग की योजना बनाई थी। मकबूल भट ने इस काम के लिए हाशिम कुरैशी को चुना, जिसे रावलपिंडी में गुरिल्ला युद्ध के प्रशिक्षण के साथ-साथ पाकिस्तान वायु सेना के पायलट जमशेद मंटो ने विशेष रूप से हाईजैकिंग के गुर सिखाए थे।
हाशिम कुरैशी को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने घुसपैठ की एक पिछली कोशिश में पकड़ लिया था, लेकिन उसने भारतीय अधिकारियों के साथ यह समझौता किया था कि वह कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की जानकारी उन तक पहुंचाएगा। इस भरोसे पर उसे रिहा कर दिया गया, लेकिन रिहा होते ही उसने अपने चचेरे भाई अशरफ कुरैशी के साथ मिलकर 'गंगा' फ्लाइट को हाईजैक करने की योजना पर काम शुरू कर दिया। 30 जनवरी 1971 को हाशिम और अशरफ कुरैशी विस्फोटक सामग्री लेकर श्रीनगर एयरपोर्ट से जम्मू के लिए रवाना होने वाले इंडियन एयरलाइंस के विमान 'गंगा' में चढ़ने में कामयाब हो गए। जैसे ही विमान ने टेकऑफ किया, कुछ ही मिनटों के भीतर हाशिम कुरैशी कॉकपिट में घुस गया और पायलट को धमकी दी कि अगर उसने विमान को लाहौर की ओर नहीं मोड़ा, तो वह उसे विस्फोटक से उड़ा देगा।
इस धमकी के बाद पायलट ने विमान की दिशा बदलकर लाहौर की ओर कर दी और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को फ्लाइट के हाईजैक होने की सूचना दी। कुछ ही समय बाद विमान लाहौर एयरस्पेस में पहुंच गया और लाहौर एयरपोर्ट के ऊपर चक्कर लगाने लगा। अंततः पाकिस्तानी ATC से इजाजत मिलने के बाद 'गंगा' की लैंडिंग लाहौर एयरपोर्ट पर करा दी गई। जैसे ही 'गंगा' ने लाहौर में लैंड किया, पाकिस्तानी अधिकारियों में खलबली मच गई। तत्कालीन पाकिस्तानी विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो खुद इस स्थिति को संभालने एयरपोर्ट पहुंचे। भुट्टो की उपस्थिति में पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों और आतंकियों के बीच बातचीत शुरू हुई। हाईजैकर्स ने भारत की जेलों में बंद उनके 36 साथियों की रिहाई की मांग की। भारतीय अधिकारियों ने किसी भी शर्त पर विचार करने से पहले सभी यात्रियों और क्रू को सुरक्षित रिहा करने की शर्त रखी।
लगभग 80 घंटे तक यह तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। भारतीय और पाकिस्तानी एजेंसियों के बीच बातचीत जारी रही, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया। इस दौरान विमान के यात्रियों और क्रू के सदस्यों को मानसिक और शारीरिक रूप से कठिन दौर से गुजरना पड़ा। हालांकि, पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों और भुट्टो के नेतृत्व में हुई मीटिंग के बाद अचानक यह फैसला लिया गया कि विमान को आग के हवाले कर दिया जाए। पाकिस्तानी अधिकारियों के आदेश पर विमान में आग लगा दी गई। देखते ही देखते 'गंगा' विमान जलकर राख हो गया। हालांकि, सौभाग्य से यात्रियों को इससे पहले सुरक्षित निकाल लिया गया था। यह घटना न केवल भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक बड़ा मोड़ साबित हुई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका असर पड़ा। पाकिस्तान पर यह आरोप लगाया गया कि उसने इस हाईजैक को अंजाम देने में प्रत्यक्ष रूप से आतंकियों की मदद की, क्योंकि इस पूरी साजिश में पाकिस्तानी सेना और एजेंसियों की संलिप्तता सामने आई।