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जानिए MPs की Salary तय करने के पीछे का सिस्टम, क्या है नई व्यवस्था की पूरी जानकारी?

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 27 Mar, 2025 01:30 PM

24 increase in mps salary new will be implemented from april 1

संसदीय कार्य मंत्रालय की हालिया अधिसूचना के बाद सांसदों और पूर्व सांसदों की सैलरी, भत्तों और पेंशन में 24% की बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। इस बढ़ोतरी के बाद सांसदों की मासिक सैलरी अब 1 लाख रुपये से बढ़कर 1.24 लाख रुपये हो गई है। यह बढ़ोतरी 1 अप्रैल...

नेशनल डेस्क। संसदीय कार्य मंत्रालय की हालिया अधिसूचना के बाद सांसदों और पूर्व सांसदों की सैलरी, भत्तों और पेंशन में 24% की बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। इस बढ़ोतरी के बाद सांसदों की मासिक सैलरी अब 1 लाख रुपये से बढ़कर 1.24 लाख रुपये हो गई है। यह बढ़ोतरी 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होगी। इस फैसले ने जनता में कुछ गलतफहमियां पैदा कर दी हैं जिसे स्पष्ट किया जाना जरूरी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में सांसदों की सैलरी खुद तय करने के खिलाफ राय दी थी। उनका मानना था कि सांसदों की सैलरी तय करने के लिए कोई स्वतंत्र आयोग या फिर यह मुद्रास्फीति से जुड़ा होना चाहिए। इसके बाद 2018 में सांसदों की सैलरी को कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) से जोड़ने का निर्णय लिया गया जिससे सैलरी में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित हो सका।

 

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2018 में सांसदों की सैलरी को सीआईआई से जोड़ा गया था जिससे सैलरी में बदलाव के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत खत्म हो गई थी। इससे पहले सांसदों की सैलरी में वृद्धि को लेकर हर बार संसदीय मंजूरी की आवश्यकता होती थी जिससे बढ़ोतरी में अनियमितता देखी जाती थी। उदाहरण के लिए 2010 में सांसदों की सैलरी को 16,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया था जिसे लेकर काफी आलोचना हुई थी।

नई व्यवस्था के तहत 2018 में सांसदों का आधार वेतन 1 लाख रुपये तय किया गया था और अब इसे सीआईआई के आधार पर 1.24 लाख रुपये किया गया है जो 7 साल में 24% की बढ़ोतरी है। इसका मतलब है कि हर साल औसतन 3.1% की वृद्धि हुई है। कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में सांसदों और मंत्रियों की सैलरी में 30% की कटौती की गई थी जो एक साल तक लागू रही थी।

 

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केंद्र सरकार हर पांच साल में सांसदों की सैलरी को सीआईआई के आधार पर समायोजित करती है जिससे उनकी सैलरी में कोई 'मनमानी बढ़ोतरी' नहीं होती है। हालांकि कई राज्य सरकारें अब भी बिना किसी तय प्रणाली के अपनी सैलरी में बढ़ोतरी करती हैं। उदाहरण के तौर पर कर्नाटक में 2025 के बजट में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपनी सैलरी 75,000 रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी है। इसके अलावा झारखंड, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, केरल, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में भी सैलरी बढ़ोतरी की गई है जो केंद्र की संरचित प्रणाली से अलग है।

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