Edited By Anu Malhotra,Updated: 16 Apr, 2025 02:20 PM
26/11 का ज़िक्र आते ही हर भारतीय का दिल सिहर उठता है। वो दिन सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था, बल्कि एक ऐसा दर्द था जिसने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले का एक चेहरा था—अजमल आमिर कसाब, जो अकेला ज़िंदा पकड़ा गया आतंकी था। अदालत में लंबी सुनवाई के बाद उसे...
नेशनल डेस्क: 26/11 का ज़िक्र आते ही हर भारतीय का दिल सिहर उठता है। वो दिन सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था, बल्कि एक ऐसा दर्द था जिसने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले का एक चेहरा था—अजमल आमिर कसाब, जो अकेला ज़िंदा पकड़ा गया आतंकी था। अदालत में लंबी सुनवाई के बाद उसे फांसी की सज़ा सुनाई गई। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि फांसी से ठीक पहले उसने जेल अधिकारियों से दो टमाटर की मांग की थी।
जुहू चौपाटी से गिरफ्तारी और सजा
मुंबई हमले के अगले दिन यानी 27 नवंबर 2008 को कसाब जुहू चौपाटी से गिरफ्तार हुआ। उसके खिलाफ दर्जनों धाराओं के तहत मुकदमा चला- देश के खिलाफ युद्ध, हत्या, आतंकवाद, विस्फोटक अधिनियम, और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत गंभीर आरोप लगे। 2009 से 2010 तक केस की सुनवाई विशेष अदालत में हुई, और अंततः उसे 6 मई 2010 को फांसी की सजा सुनाई गई।
दया याचिका, आखिरी शब्द और फांसी
कसाब ने दया याचिका दायर की, लेकिन देश की भावना और न्याय की पुकार के आगे वह ठुकरा दी गई। 21 नवंबर 2012 की सुबह पुणे की यरवदा जेल में उसे फांसी दी गई। फांसी से ठीक पहले उसके आखिरी शब्द थे: "अल्लाह कसम, ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। अल्लाह मुझे माफ करें।"
लेकिन क्यों मांगे थे टमाटर?
फांसी से एक दिन पहले उसे उसकी सजा के बारे में सूचित किया गया। शांत रहकर उसने अपनी आखिरी ख्वाहिश जताई—दो टमाटर। जेल प्रशासन ने उसे एक पूरी टोकरी भेंट की। उसने उनमें से दो उठाए, लेकिन सिर्फ एक टमाटर ही खाया। ये क्यों किया? इसका जवाब कभी किसी को नहीं मिला। न ही कसाब ने कोई वजह बताई, न ही जेल के रिकॉर्ड में कुछ दर्ज हुआ। यह रहस्य उसी के साथ दफन हो गया।