Edited By Anu Malhotra,Updated: 13 Apr, 2025 08:04 PM
भारत ने भविष्य के युद्धों की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए अत्याधुनिक 30 किलोवाट लेजर आधारित हथियार प्रणाली (Laser-Based Weapon System) का सफल परीक्षण किया है। अब भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास यह हाई-टेक और प्रिसिशन...
नेशनल डेस्क: भारत ने भविष्य के युद्धों की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए अत्याधुनिक 30 किलोवाट लेजर आधारित हथियार प्रणाली (Laser-Based Weapon System) का सफल परीक्षण किया है। अब भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास यह हाई-टेक और प्रिसिशन डिफेंस तकनीक मौजूद है।
रविवार, 13 अप्रैल 2025 को आंध्र प्रदेश के कुरनूल में हुए डेमोंस्ट्रेशन में इस सिस्टम ने फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट, मिसाइल और स्वार्म ड्रोन जैसे हवाई खतरों को आसमान में ही ध्वस्त कर दिखाया। यह न केवल एक बड़ा तकनीकी कमाल है, बल्कि भारत की रणनीतिक शक्ति में एक नया अध्याय भी जोड़ता है।
कैसी है ये लेजर हथियार प्रणाली?
इस 30 किलोवाट की लेजर प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया है। इसे खासतौर पर 5 किलोमीटर तक की दूरी पर आने वाले ड्रोन, हेलिकॉप्टर और अन्य हवाई खतरों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
-
कवरेज एरिया: 360-डिग्री इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड (EO/IR) सेंसर से लैस
-
लोकेशन फ्लेक्सिबिलिटी: इसे सड़क, रेल, हवाई या समुद्री मार्ग से कहीं भी तैनात किया जा सकता है
-
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर: कम्युनिकेशन और सैटेलाइट सिग्नल्स को जाम करने की क्षमता
-
मल्टी-डोमेन डिप्लॉयमेंट: जमीन और जल दोनों मोर्चों पर तैनाती संभव
क्या बोले DRDO प्रमुख?
DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने कहा – "ये महज एक शुरुआत है। आगे हम माइक्रोवेव और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स जैसे और भी हाई-एनर्जी वेपन सिस्टम पर काम कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य ऐसी क्षमताएं विकसित करना है जो 'स्टार वॉर्स' की तरह भविष्य का युद्ध बदल दें।"
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह की प्रणाली अभी तक अमेरिका, चीन, रूस और आंशिक रूप से इज़रायल जैसे देशों के पास ही है। भारत इसका सफल प्रदर्शन करने वाला 4वां या 5वां देश बन गया है।
आगे क्या? 300 किलोवाट की तैयारी में भारत
भारत का अगला लक्ष्य इससे भी ज़्यादा शक्तिशाली – 300 किलोवाट लेजर सिस्टम है, जो 20 किलोमीटर की दूरी तक खतरे को खत्म कर सकेगा। यह सिस्टम मिसाइलों और हाई-स्पीड यूएवी (Unmanned Aerial Vehicles) को आसानी से निशाना बना सकेगा। यह तकनीक आने वाले समय में भारत को अत्याधुनिक युद्ध रणनीतियों में और मजबूती देगी।
क्यों है यह तकनीक खास?
-
बिना गोलियों और बारूद के दुश्मन को खत्म करने की क्षमता
-
बेहद सटीक निशाना और न्यूनतम कोलैटरल डैमेज
-
बार-बार इस्तेमाल करने की क्षमता, जिससे लॉजिस्टिक खर्च कम होता है
-
साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भी उपयोगी
अब दुश्मन को आंख नहीं, भारत की किरणें डराएंगी!
लेजर हथियार सिर्फ रक्षा तकनीक नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता और भविष्य की युद्ध तैयारी का प्रतीक बन चुके हैं। DRDO की यह कामयाबी दिखाती है कि भारत अब न केवल टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि वैश्विक रक्षा तकनीक की रेस में तेजी से आगे बढ़ रहा है।