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भारत में स्कूली छात्रों की संख्या में गिरावट, 16 लाख लड़कियों समेत 37 लाख छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई: शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट

Edited By rajesh kumar,Updated: 02 Jan, 2025 12:53 PM

37 lakh students 16 lakh girls dropped out school education ministry report

भारत में स्कूलों में छात्रों की संख्या में गिरावट आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 के दौरान करीब 37 लाख छात्रों ने स्कूली शिक्षा छोड़ दी है, जिनमें से 16 लाख लड़कियां हैं। यह संख्या पिछले साल 2022-23 के मुकाबले अधिक है।

नेशनल डेस्क: भारत में स्कूलों में छात्रों की संख्या में गिरावट आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 के दौरान करीब 37 लाख छात्रों ने स्कूली शिक्षा छोड़ दी है, जिनमें से 16 लाख लड़कियां हैं। यह संख्या पिछले साल 2022-23 के मुकाबले अधिक है।

2023-24 में कुल छात्रों की संख्या में गिरावट
शिक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट, जिसे एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (UDISE) के तहत तैयार किया गया है, के अनुसार 2022-23 में स्कूलों में कुल 25.17 करोड़ छात्र नामांकित थे, जबकि 2023-24 में यह संख्या घटकर 24.80 करोड़ हो गई है। 2021-2022 में यह संख्या लगभग 26.52 करोड़ थी। इस प्रकार, पिछले कुछ वर्षों में छात्रों के नामांकन में करीब 37.45 लाख की गिरावट आई है।

लड़कियों के नामांकन में ज्यादा गिरावट
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023-24 में छात्रों के नामांकन में 16 लाख लड़कियों की कमी आई, जबकि लड़कों के नामांकन में 21 लाख की गिरावट आई है।

अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों की संख्या
UDISE 2023-24 ने पहली बार छात्रों का व्यक्तिगत डेटा एकत्र किया और उनके आधार नंबर भी लिए गए। अब तक 19.7 करोड़ छात्रों ने अपने आधार नंबर साझा किए हैं। इस डेटा के मुताबिक, कुल नामांकित छात्रों में 20% छात्र अल्पसंख्यक समुदायों से हैं। इनमें 79.6% मुस्लिम, 10% ईसाई, 6.9% सिख, 2.2% बौद्ध, 1.3% जैन और 0.1% पारसी समुदाय से थे।

जातीय वर्गीकरण
रिपोर्ट के अनुसार, पंजीकृत छात्रों का जातीय वर्गीकरण इस प्रकार है:

  • 26.9% छात्र सामान्य वर्ग से
  • 18% छात्र अनुसूचित जाति से
  • 9.9% छात्र अनुसूचित जनजाति से
  • 45.2% छात्र अन्य पिछड़ा वर्ग से

‘घोस्ट स्टूडेंट्स’ की पहचान
UDISE के इस नए डेटा से सरकार को यह पहचानने में मदद मिली है कि कितने छात्र असल में स्कूलों में पढ़ाई नहीं कर रहे थे, जिन्हें ‘घोस्ट स्टूडेंट्स’ कहा जाता है। इससे न सिर्फ सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ उन छात्रों तक पहुंच सकता है, बल्कि सरकारी खर्च में भी बचत हो सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पहली बार है जब राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों का व्यक्तिगत डेटा इकट्ठा किया गया है, जिससे शिक्षा प्रणाली की वास्तविक स्थिति को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

राज्यों में स्कूलों और छात्रों का अनुपात
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ राज्यों में स्कूलों की संख्या छात्रों की तुलना में ज्यादा है, जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और राजस्थान। वहीं, तेलंगाना, पंजाब, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में छात्रों की संख्या स्कूलों से अधिक है।

नई डेटा प्रणाली से शिक्षा पर असर
नई डेटा प्रणाली से अब छात्रों के ड्रॉपआउट्स और शिक्षा में हो रही प्रगति को सही तरीके से ट्रैक किया जा सकेगा, जो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को हासिल करने में मदद करेगा।यह रिपोर्ट शिक्षा प्रणाली की सही स्थिति और सुधार की दिशा को समझने में मदद करती है और सरकार को बेहतर योजनाओं को लागू करने में सक्षम बनाती है।

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