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महाकुंभ में बिछड़े 48,500 लोग अपनों से मिले, अब तक परिवार को पाने के लिए बिलख रहा 6 साल का मासूम

Edited By Harman Kaur,Updated: 27 Feb, 2025 01:08 PM

48 500 people separated in mahakumbh met their loved ones

कुंभ नगरी में स्नान के लिए पहुंचे 48,500 लोग अपने परिजनों से बिछड़ गए। खास बात यह है कि बिछड़े लोगों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा रही। हालांकि, इन सभी ने कुछ दिनों के इंतजार के बाद अपने परिवारों से पुनः मिल लिया। इस मेले के दौरान सबसे...

नेशनल डेस्क: कुंभ नगरी में स्नान के लिए पहुंचे 48,500 लोग अपने परिजनों से बिछड़ गए। खास बात यह है कि बिछड़े लोगों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा रही। हालांकि, इन सभी ने कुछ दिनों के इंतजार के बाद अपने परिवारों से पुनः मिल लिया। इस मेले के दौरान सबसे चौंकाने वाला मामला यह था कि एक 6 साल का बच्चा अब तक अपने परिजनों से नहीं मिल सका। उसे चाइल्ड लाइन में रखा गया है।

बिछड़े लोगों की मदद के लिए 3 केंद्र काम कर रहे थे। इनमें एक केंद्र सरकार द्वारा संचालित डिजिटल भूला-बिसरा केंद्र था, जबकि दो स्वयंसेवी संगठनों द्वारा संचालित केंद्र भी थे। इन केंद्रों में सबसे पुराने केंद्रों में भारत सेवा केंद्र (1946) और हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति (1954) शामिल थे। भारत सेवा केंद्र और हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति द्वारा बिछड़े हुए लोगों को वापस उनके परिवारों से मिलाने में सबसे अधिक मदद की गई। भारत सेवा केंद्र के संचालक उमेश चंद्र तिवारी के मुताबिक, 12 जनवरी से इस केंद्र में 10,931 पुरुष, 8,100 महिलाएं और 17 बच्चे बिछड़े हुए थे।

वहीं, हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति के संचालक संत कुमार पांडेय के अनुसार, 10 जनवरी से 15 फरवरी के बीच 5,500 महिलाओं और 24 बच्चों को उनके परिजनों से मिलाया गया। इस समय केवल 6 साल का बच्चा बाबुल ही है, जो अभी तक अपने परिवार से नहीं मिल सका। उसे चाइल्ड लाइन में रखा गया है। डिजिटल केंद्र के माध्यम से लगभग 24,000 लोग बिछड़ने के बाद अपने परिवारों से मिल पाए। इन केंद्रों में भी पुरुषों की संख्या ज्यादा रही।

आखिरी स्नान पर्व पर भी बिछड़ने और मिलने का सिलसिला जारी रहा
आखिरी स्नान पर्व के दौरान भी लोग अपनी खोई हुई रिश्तेदारों को खोजते हुए इन केंद्रों पर पहुंचे। जैसे कि संजय महापात्रा, जो 24 परगना, बंगाल से आए थे। उनकी पत्नी संगम घाट पर खो गई थी। संजय ने काफी देर तक उन्हें ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मिलीं। अंत में वह नंगे बदन रोते हुए भारत सेवा केंद्र पहुंचे। इसी तरह, चंदा नाम की महिला, जो अलीगढ़ से आई थीं, अपने 9 साल के बेटे विशाल को संगम घाट पर स्नान के बाद खो बैठीं। वह काफी देर तक अपने बेटे को ढूंढती रहीं और अंत में भारत सेवा केंद्र पहुंचीं। यहां करीब 3 घंटे बाद पुलिस ने बच्चे को ढूंढ कर लाई और मां-बच्चे का मिलन हुआ। कुंभ नगरी में बिछड़े लोगों का यह सिलसिला पूरे दिन जारी रहा और लोगों को उनके परिजनों से मिलवाने का काम किया गया।

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