Edited By Pardeep,Updated: 07 Feb, 2025 11:36 PM
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शुक्रवार को बताया कि अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को सूचित किया है कि उन्हें 487 संभावित भारतीय नागरिकों के लिए ‘‘अंतिम निष्कासन आदेश' दिए गए हैं और 298 व्यक्तियों के संबंध में पहचान संबंधी विवरण नई दिल्ली को उपलब्ध करा...
नई दिल्लीः विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शुक्रवार को बताया कि अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को सूचित किया है कि उन्हें 487 संभावित भारतीय नागरिकों के लिए ‘‘अंतिम निष्कासन आदेश'' दिए गए हैं और 298 व्यक्तियों के संबंध में पहचान संबंधी विवरण नई दिल्ली को उपलब्ध करा दिये गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित अमेरिका यात्रा से पहले एक विशेष संवाददाता सम्मेलन में विदेश सचिव की यह टिप्पणी, अमेरिका द्वारा हाल में 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस (भारत) भेजे जाने पर मचे हंगामे के बीच आई है।
इस संबंध में नई दिल्ली द्वारा औपचारिक रूप से विरोध दर्ज कराये जाने के बारे में पूछे जाने पर मिस्री ने कहा, ‘‘हां, हम इस मुद्दे पर लगातार अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में हैं और हमने इस मामले पर उनके समक्ष अपनी चिंता दर्ज कराई है।'' मिस्री से इन आरोपों के बारे में भी पूछा गया कि बुधवार को अमृतसर में उतरे सी17 ग्लोबमास्टर विमान में कई निर्वासितों को हथकड़ी लगाई गई थी। मिस्री ने मीडिया से कहा, ‘‘बुधवार को किया गया यह विशेष निर्वासन, पिछले कई वर्षों से हो रहे निर्वासनों की तुलना में कुछ अलग था, जैसा कि आप जानते होंगे। यह थोड़ा अलग था, क्योंकि अमेरिकी प्रणाली में इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा अभियान' के रूप में वर्णित किया गया था। शायद यही एक कारण है कि सैन्य विमान का इस्तेमाल किया गया।''
यह पूछे जाने पर कि पिछली बार कब अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजने के लिए सैन्य विमान का इस्तेमाल किया गया था, विदेश सचिव ने कहा, ‘‘मुझे शायद यह पता करना होगा कि पिछली बार कब सैन्य विमान का इस्तेमाल किया गया था... मेरे पास अभी जानकारी नहीं है।'' उन्होंने कहा कि एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जो सार्वजनिक रूप से ज्ञात है, जिसे ‘‘अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भी साझा किया गया था, 2012 से चलन में है।''
मिस्री ने मीडिया को यह भी बताया कि अमेरिका से लौटने वाले लोगों की ‘‘कई श्रेणियां'' हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग वापस आ जाते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें अमेरिका से निकाल दिया जाता है। यह अंतर, न्यायिक प्रक्रिया या लागू की जाने वाली आधिकारिक और कानूनी प्रक्रियाओं के कारण होता है।'' यह पूछे जाने पर कि क्या और अधिक उड़ानें निर्वासितों को लेकर आने वाली हैं, मिस्री ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि वापस भेजे जाने वाले कितने लोगों की पुष्टि भारतीय नागरिक के रूप में होती है।
विदेश सचिव ने कहा, ‘‘दुनिया का कोई भी देश अगर अपने नागरिकों को वापस स्वीकार करने जा रहा है, तो वह यह आश्वासन चाहेगा कि जो भी वापस आ रहा है, वह उस देश का वास्तविक नागरिक है। इसके साथ वैधता और सुरक्षा के मुद्दे जुड़े हुए हैं। इसलिए, हम इस मामले पर अमेरिका के साथ लगातार संपर्क में हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही हमें सूचना प्रदान की जाती है, हम उचित जांच-पड़ताल करते हैं और फिर कार्रवाई करते हैं।'' उन्होंने कुछ डेटा भी साझा किए और कहा कि भारत इस मुद्दे पर ‘‘हमारे अमेरिकी समकक्षों'' के साथ ‘‘बहुत पारदर्शी'' रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल में हुई बातचीत में जब हमने अमेरिका से संभावित रूप से वापस लौटने वालों के बारे में जानकारी मांगी, तो हमें बताया गया कि 487 संभावित भारतीय नागरिक हैं, जिनके लिए अमेरिकी अधिकारियों के पास अंतिम निष्कासन आदेश है।''
मिस्री ने बताया, ‘‘हमने विवरण मांगा है, और 298 व्यक्तियों के संबंध में पहचान संबंधी विवरण हमें प्रदान किए गए हैं। हमें यह कुछ समय पहले प्राप्त हुआ है, और हम इसकी जांच कर रहे हैं। हम इन मुद्दों पर अपने अमेरिकी समकक्षों को जवाब देंगे। अन्य के बारे में, हमें अभी तक विवरण मुहैया नहीं किया गया है।'' मिस्री ने ‘‘समस्या की असली जड़'' को भी चिह्नित किया, जो ‘‘अवैध प्रवास को बढ़ावा देने वाला परिवेश'' है। उन्होंने कहा, ‘‘गिरोह निर्दोष लोगों को धोखा देते हैं और उनसे बड़ी रकम लेकर उन्हें विदेश ले जाते हैं, लेकिन उन्हें इसी तरह से वापस लौटना पड़ता है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है और विदेश मंत्री ने भी इस ओर ध्यान आकर्षित कराया है। सरकार को इस पर आगे काम करना होगा।''
कई लोगों द्वारा उठाए जा रहे 'दुर्व्यवहार' के मुद्दे पर, मिस्री ने कहा कि यह ‘‘उठाने के लिए उचित मुद्दा'' है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अमेरिकी अधिकारियों से कहते रहते हैं कि निर्वासित लोगों के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए... हम हमारी जानकारी में आने वाले दुर्व्यवहार के हर मामले को उठाते रहेंगे।'' यह पूछे जाने पर कि क्या 2012 में कोई विरोध किया गया था, विदेश सचिव ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि कोई विरोध दर्ज कराया गया था। हमारे पास इस बारे में किसी भी विरोध का कोई रिकॉर्ड नहीं है।'' विदेश मंत्री एस जयशंकर के विचारों को दोहराते हुए मिस्री ने कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निर्वासन की यह प्रक्रिया नयी नहीं है।