Edited By Seema Sharma,Updated: 26 May, 2022 06:19 PM
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरू द्वारा दुनिया भर में मिट्टी पर आए संकट के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए शुरू की गई "जर्नी टू सेव सॉइल " यात्रा 50 दिनों में 2 अरब लोगो तक पहुंच चुकी है।
नेशनल डेस्क: ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरू द्वारा दुनिया भर में मिट्टी पर आए संकट के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए शुरू की गई "जर्नी टू सेव सॉइल " यात्रा 50 दिनों में 2 अरब लोगो तक पहुंच चुकी है। इस यात्रा के तहत सदगुरु ने मार्च में अकेले मोटरसाइकिल सवार के रूप में 100 दिन, 30,000 किलोमीटर की और पिछले 50 दिनों में यूरोप का अधिकांश हिस्से, मध्य एशिया के कुछ हिस्सों के साथ-साथ मध्य पूर्व के हिस्से में मिट्टी को बचाने की सख्त आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया है। इस उद्देश्य के प्रति अपनी अथक प्रतिबद्धता में, सदगुरु बर्फ, रेतीले तूफान, बारिश और शून्य से नीचे के तापमान सहित अत्यंत जोखिम भरी परिस्थितियों से गुजर रहे हैं।
यात्रा के दौरान, उन्होंने प्रत्येक देश में राजनीतिक नेताओं, मिट्टी के विशेषज्ञों, नागरिकों, मीडिया कर्मियों और प्रभावकारी व्यक्तियों से मुलाकात की है, उन्हें मिट्टी के विलुप्त होने से निपटने की तत्काल आवश्यकता के बारे में जागरूक किया है। एक शानदार अनुक्रिया प्राप्त करते हुए, मिट्टी बचाओ अभियान पहले ही 2 बिलियन से अधिक लोगों को प्रभवित कर चुका है, जिसमें 72 देश मिट्टी को बचाने के लिए कार्य करने के लिए सहमत हुए हैं। सदगुरु ने कहा, "मिट्टी हमारी संपत्ति नहीं है, यह एक विरासत है जो पिछली पीढ़ियों से हमारे पास आई है, और हमें इसे जीवित मिट्टी के रूप में आने वाली पीढ़ियों को देना चाहिए।"
क्यों पड़ी अभियान की जरूरत
- हम 1 एकड़ मिट्टी प्रति सैकेंड खो रहे है।
- धरती की 20 प्रतिशत वनसपति उपज मिट्टी के घटते उपजाऊपन के कारण कम हो गई है।
- यूरोप में 60 से 70 प्रतिशत मिट्टी अस्वस्थ स्तिथि में है।
- मिट्टी दुनिया की 90 प्रतिशत खेती के लिए जल का स्त्रोत है
- मिट्टी की ऊपरी 6 ईंच की सत्ह में 1 प्रतिशत जैविक पदार्थ की मात्रा बढ़ने से प्रति एकड़ 20 हजार गैल्लर अतिरिक्त पानी संचित किया जा सकता है।
9 राज्यों की यात्रा करेंगे सदगुरू
सदगुरु इस महीने के अंत में गुजरात के जामनगर पहुंचेंगे और 25 दिनों में 9 राज्यों की यात्रा करेंगे। मिट्टी बचाओ अभियान यात्रा कावेरी नदी के बेसिन में समाप्त होगी, जहां सदगुरु द्वारा शुरू की गई कावेरी कॉलिंग परियोजना ने 1,25,000 किसानों को मिट्टी और कावेरी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 62 मिलियन पेड़ लगाने में सक्षम बनाया है।
वर्ल्ड इकनॉमिक फॉर्म में मिट्टी बचाने की अपील
दावोस ने चल रही वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के फ्यूचर ऑफ सिटि्स इवैंट के दौरान विजडम पैनल में संबोधित करते हुए सद्गुरु ने कहा कि इस मुहिम के तहत वे दुनिया के तमाम देशों को मिट्टी को बचाने के लिए नीति बनाने की अपील करने आए हैं उन्होंने विश्व की तमाम बिजनैस कम्युनिटी को मिट्टी बचाने का संदेश दिया और कहा कि रिच सॉयल ही रिच लाइफ का आधार है और अच्छी मिट्टी के बिना अच्छे जीवन की कल्पना नहीं कर सकते।
मुहिम को दुनिया भर में समर्थन
- पहले 50 दिनों में, अभियान के द्वारा 7 कैरिबियाई देशों, अजरबैजान,रोमानिया, यूएई सहित कई देशों को मिट्टी की सुरक्षा के लिए नीतियां बनाने के लिए "मिट्टी बचाओ" के साथ समझौता एमओयू हुआ है।
- जलवायु परिवर्तन को कम करने और मिट्टी के पुनर्जीवन के माध्यम से खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए फ्रांसीसी सरकार की "4 प्रति 1000" पहल ने भी मिट्टी बचाओ के साथ एक समझौता ज्ञापन(एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, बुल्गारिया, इटली, वेटिकन और सूरीनाम गणराज्य ने मिट्टी बचाओ अभियान के साथ समन्वयता व्यक्त की है।
- आधा मिलियन से अधिक छात्रों ने भारत में अपने मंत्रियों को पत्र लिखकर मिट्टी के पुनर्जीवन के लिए कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
जर्मनी के शिक्षा मंत्रालय ने जर्मनी के बच्चों को #SaveSoil मिट्टी बचाओ अभियान में भाग लेने का निर्देश भेजा है। बच्चों की कलाकृतियों को "मिट्टी बचाओ - कला और कविता की एक वैश्विक प्रदर्शनी" के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।