Edited By Harman Kaur,Updated: 10 Aug, 2024 01:11 PM
पंजाब के गांव नलास में एक 550 साल पुराना शिव मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था, किसी ने इसे स्थापित नहीं किया। मंदिर में एक 500 साल पुराना बोहड़ का पेड़ भी है। मान्यता है कि बोहड़ पर लाल धागा बांधने से मन्नतें...
नेशनल डेस्क: पंजाब के गांव नलास में एक 550 साल पुराना शिव मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था, किसी ने इसे स्थापित नहीं किया। मंदिर में एक 500 साल पुराना बोहड़ का पेड़ भी है। मान्यता है कि बोहड़ पर लाल धागा बांधने से मन्नतें पूरी होती हैं। यह मंदिर अंबाला-जालंधर रोड पर राजपुरा से करीब 8 किलोमीटर दूर गांव नवास में स्थित है।
पटियाला रियासत के महाराजा ने करवाया था मंदिर का निर्माण
गांव में गुर्जर लोग रहते थे और उनके पास एक गाय थी। जब गाय जंगल में घास चरने जाती थी, तो घर लौटने से पहले एक झाड़ी के पास उसका दूध अपने आप बहने लगता था। एक दिन गाय के मालिक ने झाड़ी की खुदाई की और शिवलिंग पर कस्सी से प्रहार किया। इस पर वहां से खून की धार बहने लगी। इस घटना के समय वट वृक्ष के नीचे स्वामी कर्मगिरि जी तपस्या कर रहे थे।
उनकी तपस्या भंग हो गई और उन्होंने पटियाला रियासत के महाराजा कर्म सिंह को घटना की जानकारी दी। महाराजा ने खुदाई करवाई और वहां शिवलिंग प्रकट हुआ। संवत् 1592 में महाराजा ने मंदिर का निर्माण करवाया और महंत कर्मगिरी को मंदिर का महंत नियुक्त किया। आज इस मंदिर में पूरे उत्तर भारत से लोग दर्शन के लिए आते हैं।
लाल धागा बांधने से पूरी होती है मन्नत
मंदिर के प्रांगण में एक 140 फीट ऊंचा त्रिशूल और 108 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा स्थापित है। यहां एक 500 साल पुराना बोहड़ का पेड़ भी है, जिस पर लाल धागा बांधने से मान्यता है कि मन्नतें पूरी होती हैं। मंदिर में सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात रहती है। सावन के महीने में 50 से ज्यादा समाज सेवी संस्थाएं लंगर के स्टॉल लगाती हैं। यहां 24 घंटे मेडिकल सुविधा और डॉक्टर, नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ भी तैनात रहता है।
सावन और महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर में लगता है मेला
मंदिर पहुंचने के लिए राजपुरा से 8 किलोमीटर दूर गांव नलास में आना होता है। यहां तक बस और ऑटो की सेवाएं उपलब्ध हैं। हर महीने चौदस, सावन और महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर में मेला लगता है।