Edited By Pardeep,Updated: 25 Dec, 2024 10:49 PM
बारह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 50,000 से अधिक गांवों में संपत्ति मालिकों को 'अधिकार दस्तावेज' के तौर पर 58 लाख से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम को ऑनलाइन तरीके से संबोधित करेंगे।
नेशनल डेस्कः बारह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 50,000 से अधिक गांवों में संपत्ति मालिकों को 'अधिकार दस्तावेज' के तौर पर 58 लाख से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम को ऑनलाइन तरीके से संबोधित करेंगे। पंचायती राज मंत्रालय के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान कम से कम 13 केंद्रीय मंत्री विभिन्न राज्यों में कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे, जहां संपत्ति कार्ड वितरित किए जाएंगे। ‘स्वामित्व' योजना की शुरुआत 2020 में की गई थी।
इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक संपत्ति मालिक को ‘‘अधिकारों का दस्तावेज'' प्रदान करना है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित किए जाने वाले इस ऑनलाइन कार्यक्रम में 10 राज्यों- छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के लगभग 50,000 गांवों के 58 लाख संपत्ति मालिकों को संपत्ति कार्ड जारी किए जाएंगे।
इस बीच, कई केंद्रीय मंत्री इन राज्यों में विभिन्न स्थानों पर लाभार्थियों से संपर्क करेंगे और कुछ संपत्ति कार्ड भी वितरित करेंगे। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान राजस्थान के जोधपुर में एक कार्यक्रम में शामिल होंगे, जबकि जेपी नड्डा जयपुर में, भूपेंद्र यादव अलवर में, अन्नपूर्णा देवी कोटा में और अर्जुन राम मेघवाल बीकानेर में होंगे।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल महाराष्ट्र के अहिल्या नगर में एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे, जबकि रक्षा राज्य मंत्री निखिल खडसे नंदुरबार में और मुरलीधर मोहोल पुणे में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर पंजाब के बठिंडा में, ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया मध्य प्रदेश के गुना में और जितेंद्र सिंह जम्मू-कश्मीर के कठुआ के कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। पंचायती राज सचिव विवेक भारद्वाज ने बताया कि इन 58 लाख स्वामित्व कार्ड सहित अब तक 2.19 करोड़ संपत्ति कार्ड को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 3.44 लाख से अधिक गांवों में से 3.17 लाख गांवों में 92 प्रतिशत ड्रोन मैपिंग पूरी कर ली गई है और यह योजना 2026 तक पूरी होने की संभावना है। भारत में ग्रामीण भूमि का सर्वेक्षण और अधिकारों का अभिलेखीकरण कई दशक पहले ही पूरा हो चुका था। इसके अलावा, कई राज्यों में गांवों के आबादी क्षेत्र का सर्वेक्षण/मानचित्रण नहीं किया गया था। इसलिए, गांव की आबादी वाले क्षेत्रों के लिए स्वामित्व का कोई अभिलेख नहीं बनाया जा सका। अब तक 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इस योजना में शामिल हो चुके हैं। इनमें से सिक्किम, तेलंगाना और तमिलनाडु ने केवल प्रायोगिक रूप से परियोजना में हिस्सा लिया है, जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार, नगालैंड और मेघालय इस योजना में शामिल नहीं हुए हैं।