Edited By Rohini,Updated: 08 Jan, 2025 11:17 AM
इस साल भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग में बड़े बदलाव की संभावना है क्योंकि कई नई कंपनियां इस क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी कर रही हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल के महीनों में कुछ नई कंपनियों को मंजूरी दी है जो अब इस उद्योग में...
नेशनल डेस्क। इस साल भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग में बड़े बदलाव की संभावना है क्योंकि कई नई कंपनियां इस क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी कर रही हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल के महीनों में कुछ नई कंपनियों को मंजूरी दी है जो अब इस उद्योग में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं। इस समय कम से कम 6 कंपनियां हैं जिन्हें या तो लाइसेंस मिल चुका है या फिर सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।
नई कंपनियों के नाम और मंजूरी
ऐंजल वन और यूनिफी कैपिटल को लाइसेंस मिल चुका है जबकि जियो ब्लैकरॉक, कैपिटलमाइंड, चॉइस इंटरनैशनल और कॉस्मिया फाइनैंशियल होल्डिंग्स को सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। सैद्धांतिक मंजूरी का मतलब है कि इन कंपनियों को म्युचुअल फंड व्यवसाय शुरू करने के लिए सेबी से हरी झंडी मिल गई है। अब इन कंपनियों को अपने फंड पेश करने के लिए अगले छह महीने में पूरी तैयारी करनी होगी।
2025 में हो सकता है रिकॉर्ड प्रवेश
अगर ये सभी कंपनियां 2025 में अपना पहला फंड पेश करने में सफल होती हैं तो यह म्युचुअल फंड उद्योग के लिए एक रिकॉर्ड साल होगा। 2023 में भी पांच नई कंपनियां म्युचुअल फंड उद्योग में शामिल हुई थीं। निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी और बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के कारण म्युचुअल फंड उद्योग में नई कंपनियों के प्रवेश में तेजी आ रही है।
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तैयारी और नए बदलाव
कुछ कंपनियां जो सैद्धांतिक मंजूरी पा चुकी हैं वे अब छह महीने की तैयारी प्रक्रिया में हैं। सबसे प्रमुख नामों में से एक जियो ब्लैकरॉक है जिसने हाल ही में जॉर्ज हेबर जोसेफ को मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति म्युचुअल फंड लाइसेंस पाने के लिए जरूरी शर्तों में से एक है।
क्यों आ रही हैं नई कंपनियां?
पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं, वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां और अन्य वित्तीय सेवा कंपनियां इस उद्योग में शामिल हो रही हैं। म्युचुअल फंड उद्योग में निवेशकों की बढ़ती रुचि और आर्थिक गतिविधियों में सुधार के कारण नए खिलाड़ियों को प्रवेश करने के अवसर मिल रहे हैं।
बता दें कि इस बदलाव के कारण म्युचुअल फंड उद्योग में और भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निवेशकों के लिए नए विकल्प खुलेंगे।