Edited By Rahul Rana,Updated: 17 Dec, 2024 09:39 AM
![66 year old shashi kumar mohta wins 24 year old legal battle for llb admission](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_12image_09_39_252672128llb-ll.jpg)
अहमदाबाद के शशि कुमार मोहता के लिए कानून की डिग्री हासिल करना केवल एक सपना नहीं था बल्कि यह एक लंबी और कठिन यात्रा थी। मोहता को 2000 में गुजरात विश्वविद्यालय के एलएलबी कार्यक्रम में प्रवेश से इसलिए मना कर दिया गया था क्योंकि विश्वविद्यालय के शिक्षा...
नेशनल डेस्क। अहमदाबाद के शशि कुमार मोहता के लिए कानून की डिग्री हासिल करना केवल एक सपना नहीं था बल्कि यह एक लंबी और कठिन यात्रा थी। मोहता को 2000 में गुजरात विश्वविद्यालय के एलएलबी कार्यक्रम में प्रवेश से इसलिए मना कर दिया गया था क्योंकि विश्वविद्यालय के शिक्षा मानदंडों के अनुसार उनके पास 15 साल की औपचारिक शिक्षा नहीं थी जबकि विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए यह शर्त थी। मोहता ने इस अन्याय के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की और अब 24 साल की संघर्षपूर्ण कानूनी प्रक्रिया के बाद सिविल कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
अदालत का फैसला: मोहता को LLB में मिलेगा प्रवेश
अहमदाबाद की सिविल कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि शशि कुमार मोहता को गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) और डीटी लॉ कॉलेज से एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाए। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि मोहता को अगले शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से 3 साल के एलएलबी पाठ्यक्रम में नामांकित किया जाए।
अदालत ने कहा, "प्रतिवादियों (गुजरात विश्वविद्यालय और डीटी लॉ कॉलेज) को निर्देश दिया जाता है कि वे शशि कुमार मोहता को एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश देने के लिए उनके मूल दस्तावेजों की जांच करने के बाद उन्हें प्रवेश दें बशर्ते कोई विसंगति न पाई जाए।"
क्यों हुआ था मोहता को प्रवेश से इनकार?
मोहता को 2000 में एलएलबी कार्यक्रम में प्रवेश देने से इस कारण मना कर दिया गया था क्योंकि उनके पास 14 साल की औपचारिक शिक्षा थी जबकि गुजरात विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार एलएलबी में प्रवेश के लिए न्यूनतम 15 साल की शिक्षा आवश्यक थी। डीटी लॉ कॉलेज ने इसी आधार पर मोहता को प्रवेश देने से इनकार कर दिया था।
मोहता का कहना था कि यह शर्त उनके लिए अनुचित थी क्योंकि उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भी कानून की डिग्री हासिल करने की इच्छा नहीं छोड़ी।
कानूनी लड़ाई और संघर्ष
शशि कुमार मोहता का मामला 24 साल तक अदालत में चला। उनका यह संघर्ष यह साबित करता है कि अगर इंसान में आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति हो तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है। मोहता को 1980 में कोलकाता से अहमदाबाद आए थे और जब उन्होंने 2000 में एलएलबी में प्रवेश के लिए आवेदन किया था तो उनकी शिक्षा को लेकर यह विवाद उठ खड़ा हुआ था।
अदालत का अंतिम आदेश
अंततः अदालत ने मोहता के पक्ष में फैसला सुनाया और गुजरात विश्वविद्यालय और डीटी लॉ कॉलेज को निर्देश दिया कि वे उनके दस्तावेजों की जांच के बाद उन्हें एलएलबी में प्रवेश दें। अदालत ने यह भी कहा कि अगर दस्तावेजों में कोई विसंगति पाई जाती है तो प्रवेश से इंकार किया जा सकता है।
बता दें कि शशि कुमार मोहता की यह कानूनी लड़ाई एक प्रेरणा है कि कभी भी किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष छोड़ना नहीं चाहिए। मोहता की मेहनत और धैर्य ने उन्हें आखिरकार उनकी इच्छित कानून की डिग्री हासिल करने का मौका दिलवाया। इस फैसले के बाद मोहता को एलएलबी में प्रवेश मिलेगा और उनका सपना आखिरकार पूरा होगा।