Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 Mar, 2025 04:40 PM

भारत ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिससे देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने लगभग 7,000 करोड़ रुपये की लागत से भारत निर्मित...
नेशनल डेस्क: भारत ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिससे देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने लगभग 7,000 करोड़ रुपये की लागत से भारत निर्मित एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) के अधिग्रहण को मंजूरी दी है। यह निर्णय भारत के रक्षा उद्योग को मजबूत करने और सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। एटीएजीएस (Advanced Towed Artillery Gun System) को स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है। यह 155 मिमी आर्टिलरी गन है, जो अपनी अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर मारक क्षमता के साथ भारतीय सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने के लिए तैयार है। यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि अब तक भारत को अपनी आर्टिलरी गन के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन एटीएजीएस के साथ अब पूरी प्रणाली स्वदेशी रूप से उपलब्ध होगी।
एटीएजीएस की विशेषताएँ
एटीएजीएस एक उन्नत आर्टिलरी गन है, जिसमें 52-कैलिबर की लंबी बैरल है, जो 40 किलोमीटर तक की फायरिंग रेंज की अनुमति देती है। इस प्रणाली का उच्च कैलिबर और मारक क्षमता इसे एक गेम-चेंजर बनाता है। इसके अलावा, स्वचालित तैनाती और लक्ष्य सगाई की प्रणाली इसे और भी प्रभावी बनाती है, जिससे चालक दल की थकान कम होती है और अधिक विस्फोटक पेलोड प्रदान होता है। एटीएजीएस को भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय निजी उद्योग भागीदारों के बीच सहयोग से विकसित किया गया है। इस प्रणाली के 65 प्रतिशत से अधिक घटक स्वदेशी स्तर पर बनाए गए हैं, जैसे बैरल, थूथन ब्रेक, ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम, और गोला-बारूद हैंडलिंग मैकेनिज्म। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की रक्षा उद्योग क्षमता को बढ़ाना और विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करना है।
भारतीय सेना के लिए एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि
एटीएजीएस को भारतीय सेना की तोपखाने प्रणाली में शामिल किया जाएगा, जिससे पुरानी 105 मिमी और 130 मिमी की तोपों को स्थानांतरित किया जाएगा। यह नई प्रणाली सेना के पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात की जाएगी, जिससे सशस्त्र बलों को रणनीतिक बढ़त मिलेगी। इसके साथ ही भारतीय सेना की मारक क्षमता और परिचालन तत्परता में वृद्धि होगी, जो भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में मददगार साबित होगी।
'मेक इन इंडिया' पहल के तहत महत्वपूर्ण कदम
एटीएजीएस का विकास भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस स्वदेशी गन सिस्टम का निर्माण भारतीय कंपनियों द्वारा किया गया है, जिससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। अनुमान है कि इस प्रणाली के उत्पादन से विभिन्न उद्योगों में करीब 20 लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजन होगा। इसके साथ ही, यह भारत के रक्षा क्षेत्र में वैश्विक निर्यात को बढ़ावा देने का अवसर भी प्रदान करेगा, जिससे भविष्य में भारत के रक्षा उत्पादों की निर्यात क्षमता मजबूत होगी।
विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी
एटीएजीएस का एक प्रमुख लाभ यह है कि इसमें विदेशी घटकों पर निर्भरता बहुत कम है। नेविगेशन सिस्टम, थूथन वेलोसिटी रडार और सेंसर जैसी महत्वपूर्ण प्रणालियाँ पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित की गई हैं। इसका मतलब है कि भारत अब अपनी रक्षा प्रौद्योगिकी में अधिक आत्मनिर्भर होगा और विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता घटेगी।