Edited By Rahul Rana,Updated: 13 Dec, 2024 12:07 PM
इंदौर शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिला बाल विकास विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में 14 भिक्षुकों को पकड़ा गया है जिनमें एक महिला ने तो महज एक हफ्ते में 75 हजार रुपये भिक्षा के रूप में इकट्ठा कर लिए थे। महिला बाल विकास विभाग...
नॅशनल डेस्क। इंदौर शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिला बाल विकास विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में 14 भिक्षुकों को पकड़ा गया है जिनमें एक महिला ने तो महज एक हफ्ते में 75 हजार रुपये भिक्षा के रूप में इकट्ठा कर लिए थे। महिला बाल विकास विभाग ने इन सभी भिक्षुकों को उज्जैन स्थित सेवाधाम आश्रम भेज दिया है जहां उनकी काउंसलिंग की जाएगी और उन्हें भिक्षावृत्ति छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर अभियान की शुरुआत
इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर इंदौर शहर को भिक्षुक मुक्त करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। महिला बाल विकास अधिकारी दिनेश मिश्रा के नेतृत्व में टीम ने इस अभियान को तेज़ी से लागू किया है। अलग-अलग 14 टीमों का गठन किया गया है जो शहर के विभिन्न इलाकों खासकर मंदिरों और धार्मिक स्थलों के आसपास भिक्षा मांगने वालों की पहचान कर रही हैं।
महिला भिखारी से बरामद हुए 75 हजार
इस कार्रवाई के दौरान महिला बाल विकास विभाग की टीम को राजवाड़ा के पास शनि मंदिर में भिक्षावृत्ति करते हुए एक महिला मिली। महिला की जांच करने पर पता चला कि उसने अपनी साड़ी में 75 हजार रुपये छुपा रखे थे। परियोजना अधिकारी दिनेश मिश्रा के अनुसार यह रकम महिला ने एक हफ्ते में भिक्षावृत्ति से इकट्ठी की थी। अगर इसे महीने भर का हिसाब लगाया जाए तो महिला लगभग 3 लाख रुपये कमा सकती थी और साल भर में यह रकम 36 लाख रुपये तक पहुंच सकती थी।
काउंसलिंग और पुनर्वास की प्रक्रिया
महिला की पहचान इंदौर के पालदा इलाके की रहने वाली के रूप में हुई है। इसके अलावा शहर में ऐसे कई परिवार भी हैं जो बार-बार भिक्षावृत्ति करते पकड़े जा चुके हैं। इन परिवारों को भी भिक्षावृत्ति से बाहर निकालने के लिए कार्रवाई की जा रही है। सभी भिक्षुकों को अब उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेजा गया है जहां उनकी काउंसलिंग की जाएगी। यह प्रयास किया जा रहा है कि ये लोग भिक्षावृत्ति छोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकें और अपनी ज़िंदगी को नई दिशा दे सकें।
भिक्षावृत्ति पर नियंत्रण की दिशा में यह अभियान एक अहम कदम है क्योंकि इसके जरिए भिक्षा मांगने वाले लोगों को समाज में पुनः स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। महिला बाल विकास विभाग का यह कदम इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी सफलता साबित हो सकता है।