Edited By rajesh kumar,Updated: 16 Jan, 2025 05:42 PM
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद इसका असर वित्तीय रूप से राज्य सरकारों पर पड़ा, खासकर उन राज्यों पर जिनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से वित्तीय बोझ बढ़ा। इन दोनों...
नेशनल डेस्क: मोदी सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। केंद्र की मंजूरी के बाद अब सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में और पेंशनधारकों के पेंशन में इजाफा होगा। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद इसका असर वित्तीय रूप से राज्य सरकारों पर पड़ा, खासकर उन राज्यों पर जिनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से वित्तीय बोझ बढ़ा। इन दोनों राज्यों पर कुल 13,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा।
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वित्तीय बोझ का विवरण
- पंजाब: लगभग ₹7,000 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा।
- हरियाणा: करीब ₹6,500 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा।
क्या है वेतन आयोग?
वेतन आयोग (Pay Commission) एक ऐसा आयोग होता है, जिसे सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्तों, पेंशन और अन्य सुविधाओं की समीक्षा करने और उन्हें बढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाता है। वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को उनके कार्य के हिसाब से उचित वेतन और भत्ते देना होता है ताकि उनकी जीवन-स्तर में सुधार हो सके और उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन किया जा सके।
कब हुई स्थापना?
- पहला वेतन आयोग 1946 में गठित किया गया था।
उद्देश्य:
- कर्मचारियों के वेतन को महंगाई और निजी क्षेत्र के अनुरूप बनाना।
- वेतन असमानताओं को दूर करना।
लाभार्थी:
- लगभग 48 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी।
- करीब 65 लाख पेंशनभोगी।
- कई राज्य सरकार के कर्मचारी (राज्य सरकारों द्वारा अपनाए जाने पर)।
वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के नियम
1. केंद्र सरकार:
- कैबिनेट द्वारा सिफारिशों की समीक्षा और स्वीकृति।
- केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आमतौर पर चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाता है।
2. राज्य सरकारें:
- राज्य अपने वित्तीय हालात के अनुसार सिफारिशें अपनाने या संशोधित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
3. भुगतान संरचना:
- अक्सर सिफारिशों को पिछली तिथि से लागू किया जाता है, जिससे बकाया राशि का भुगतान करना पड़ता है।
वित्तीय बोझ और राज्यों की स्थिति
- 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर केंद्र सरकार पर सालाना लगभग ₹1.02 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा।
- राज्य सरकारों पर भी वित्तीय दबाव बढ़ा है। प्रमुख राज्यों पर सालाना वित्तीय बोझ का अनुमान नीचे दिया गया है:
राज्य वित्तीय बोझ (₹ करोड़)
उत्तर प्रदेश 24,000
महाराष्ट्र 21,000
तमिलनाडु 14,000
पश्चिम बंगाल 12,000
राजस्थान 11,000
मध्य प्रदेश 10,000
कर्नाटक 9,500
बिहार 8,000
पंजाब 7,000
हरियाणा 6,500
7वें वेतन आयोग की मौजूदा स्थिति
1. केंद्र सरकार:
- केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 2016 से पूरी तरह लागू।
- नए वेतनमान और भत्ते जारी किए जा चुके हैं।
2. राज्य सरकारें:
- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों ने इसे पूरी तरह लागू किया।
- पंजाब, केरल जैसे राज्यों ने संशोधित रूप में इसे अपनाया।
- कुछ कमजोर वित्तीय स्थिति वाले राज्यों में आंशिक या देरी से लागू।
आर्थिक प्रभाव
1. राजकोषीय दबाव:
- वेतन और पेंशन पर खर्च बढ़ने से राज्यों और केंद्र पर वित्तीय घाटा बढ़ता है।
2. खपत बढ़ाना:
- कर्मचारियों की आय बढ़ने से आर्थिक मांग को बल मिलता है।
3. महंगाई:
- खर्च करने की शक्ति बढ़ने से महंगाई में वृद्धि हो सकती है।
सातवें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के जीवनस्तर में सुधार किया है, लेकिन इससे केंद्र और राज्यों के राजकोष पर भारी वित्तीय दबाव पड़ा है। अधिकांश राज्यों ने इसे लागू कर दिया है, जबकि कुछ अभी भी वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहे हैं।