स्वावलंबी भारत अभियान के तहत 2 साल में 8 लाख कारोबारी होंगे तैयार

Edited By Parminder Kaur,Updated: 09 Dec, 2024 04:06 PM

8 lakh businessmen will be ready in 2 years under swavalambhi bharat abhiyan

स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक सतीश कुमार ने कहा है कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा 30 अन्य सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक संगठनों के सहयोग से मिलकर चलाए जा रहे स्वावलंबी भारत अभियान के तहत आने वाले 2 साल में 8 लाख युवाओं को रोजगार देने वाला...

जालंधर (नरेश कुमार) : स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक सतीश कुमार ने कहा है कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा 30 अन्य सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक संगठनों के सहयोग से मिलकर चलाए जा रहे स्वावलंबी भारत अभियान के तहत आने वाले 2 साल में 8 लाख युवाओं को रोजगार देने वाला इंटरपेन्योर बनाने का लक्ष्य रखा गया है और संगठन इसे 2 साल में अवश्य ही हासिल कर लेगा। पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि देश में कोरोना महामारी के बाद पैदा हुई बेरोजगारी की स्थिति से निपटने के लिए इस अभियान की शुरूआत की गई थी और यह अभियान अब लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह अभियान देश के 600 जिलों में चलाया जा रहा है और इसके साथ कालेज, यूनिवर्सिटियां, आई.आई.टी. और पोलीटैक्निकल कालेजों को जोड़ा गया है और इसके जरिए देश में उद्यमिता को बढ़ाने का संदेश दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश की पृष्ठभूमि मोटे तौर पर कारोबारी रही है और अंग्रेजों के शासन के दौरान भारत में नौकरियों का चलन बढ़ा था।

उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है और कोरोना के बाद यह समस्या ज्यादा बढ़ गई थी, लिहाजा इस मुद्दे के समाधान के लिए शुरूआत में 8 संगठनों को साथ लेकर रिसर्च अभियान शुरू किया गया, और इस कार्य में भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ, विद्यार्थी परिषद और लघु उद्योग भारती जैसे संगठनों का सहयोग लेकर देश की आर्थिक स्थिति और बेरोजगारी पर रिसर्च की गई। रिसर्च के बाद चौंकाने वाले नतीजे सामने आए और इस अभियान की शुरूआत हुई। 

आज भी देश के कुल रोजगार में चपड़ासी से लेकर प्रधानमंत्री तक सिर्फ 2.5 प्रतिशत ही रोजगार है। जबकि प्राइवेट सैक्टर और कार्पोरेट जगत कुल मिलाकर लगभग सवा 6 प्रतिशत रोजगार का सृजन करता है। देश के 75 से लेकर 80 प्रतिशत तक लोग अभी भी कृषि, स्वरोजगार और छोटी दुकानदारी के अलावा उद्यमिता करते हैं। लेकिन देश में एक अलग तरह का नैरेटिव चलाया जा रहा है कि नौकरी ही रोजगार है। इसी नैरेटिव की धार कम करने और लोगों को अपना रोजगार शुरू करने हेतु प्रेरित करने के लिए स्वावलंबी भारत अभियान के तहत सफल कारोबारियों की कहानियां सुनाकर प्रेरित किया जा रहा है। इस अभियान में ऐसे ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने 1200 रुपए से अपना काम शुरू करके 800 करोड़ रुपए तक की टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी की है और हजारों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि इस अभियान का लक्ष्य पूर्ण रोजगारयुक्त भारत, गरीबी मुक्त भारत और समृदि्ध युक्त भारत है। इस अभियान के शुरू होने के बाद हैदराबाद में लगाए गए एक ही मेले में 4000 लोगों ने रोजगार सृजन के लिए संकल्प लिया और इसके बाद बालाघाट के मेले में भी 3000 लोग स्वरोजगार के साथ जुड़ने का संकल्प लेकर गए। अब तक देश में 4000 यूनिवर्सिटीज में 8 लाख लोगों को ऐसे कार्यक्रमों के जरिए अपना रोजगार शुरू करने का संकल्प ले चुके हैं और इनमें से आने वाले दो साल में 8 लाख नए कारोबारी जरूर निकलेंगे। उन्होंने कहा कि रोजगार के मामले  पर सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए और गैर सरकारी संगठनों को इससे जुड़कर अभियान को ज्यादा प्रभावी बनाना चाहिए। क्योंकि जो अभियान अ-सरकारी होता है, वह अभियान ही असरकारी होता है। 

बाक्स-राज्यों में परिवार नियोजन के अभियान बंद हों, देश में आबादी बढ़ाने की जरूरत 

सतीश कुमार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा देश में कम हो रही आबादी को लेकर जताई गई चिंता को उचित ठहराया है। उन्होंने कहा कि देश का टोटल फर्टीलिटी रेट 2.1 प्रतिशत से नीचे जा रहा है और यह निश्चित तौर पर देश के लिए चिंता की बात है। इसी कारण तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु ने भी जनसंख्या बढ़ाने को लेकर इसी तरह के विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि 4 साल से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि देश की आबादी में कमी आ रही है, लेकिन नए आंकड़ों के मुताबिक सामने आ रहा है कि पंजाब में टोटल फर्टीलिटी रेट कम होकर 1.6 प्रतिशत रह गया है, जबकि महाराष्ट्र में यह गिरकर 1.5 प्रतिशत रह गया है। यह निश्चित तौर पर चिंताजनक बात है क्योंकि आबादी बढ़ने की यह दर 2.1 प्रतिशत से ज्यादा होनी चाहिए। 

उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार द्वारा ही देश में बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए परिवार नियोजन का अभियान चलाया गया था और इसमें सफलता भी मिली, लेकिन अब यह अभियान चिंता का विषय बन गया है। क्योंकि अभी भी कई राज्यों में सरकारें यह अभियान चला रही है, जिसे बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2 या 3 बच्चे घर और देश को रखते अच्छे। लिहाजा अब देश के युवाओं को भी इस बात को समझना चाहिए कि देश की आर्थिक तरक्की के लिए जनसंख्या का बढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह समस्या सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अब यह चिंता का विषय बनती जा रही है। साऊथ कोरिया में आबादी में वृद्धि की दर 0.7 प्रतिशत रह गई है, जबकि जापान में 1.2 और चीन में 1 प्रतिशत रह गई है। इन देशों में आबादी बढ़ाने के तमाम प्रयास अब नाकाफी साबित हो रहे हैं। दुनिया के 131 देशों में टोटल फर्टीलिटी रेट 2.1 प्रतिशत से नीचे चला गया है, जबकि 53 देशों में यह रेट 1.5 प्रतिशत रह गया है, जो निश्चित तौर पर चिंता की बात है। इससे दुनिया भर की आर्थिक प्रगति पर असर पडे़गा और साऊथ कोरिया जैसे देश का आने वाले सालों में अस्तित्व भी खत्म हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अब धार्मिक संस्थांओं के प्रमुखों, साधु संतों, सामाजिक संगठनों और मीडिया को इस बारे में जनता को जागरूक करना चाहिए। इसके अलावा सही तथ्य सामने रखे जाएं ताकि समाज से जुड़े लोग इस मामले में सही और समझदारी भरा फैसला ले सकें।

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