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तेलंगाना में 86 नक्सलियों ने हथियार छोड़ किया आत्मसमर्पण, अब तक 224 ने अपनाया शांति का रास्ता

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 05 Apr, 2025 05:58 PM

86 naxalites surrendered their weapons in telangana

तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में हाल ही में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जहां छत्तीसगढ़ के प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के 86 सक्रिय नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें चार एरिया कमेटी सदस्य भी शामिल हैं जिनके सिर पर...

नेशनल डेस्क: तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में हाल ही में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जहां छत्तीसगढ़ के प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के 86 सक्रिय नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें चार एरिया कमेटी सदस्य भी शामिल हैं जिनके सिर पर 4-4 लाख रुपये का इनाम घोषित था। ये नक्सली अब हिंसा छोड़कर शांति और विकास की राह पर चलने का फैसला कर चुके हैं। पुलिस अधिकारियों ने इस अवसर को एक बड़ी जीत बताया है। पुलिस के मुताबिक, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि ‘ऑपरेशन चेयुथा’ और आदिवासी समुदायों के लिए चल रही विकास योजनाओं से वे बेहद प्रभावित हुए। इन योजनाओं के चलते उन्हें पहली बार अहसास हुआ कि शांति और तरक्की ही असली समाधान है। तेलंगाना पुलिस ने अपने प्रयासों से आदिवासी क्षेत्रों में विश्वास की एक नई लहर शुरू की है जिससे नक्सल प्रभावित लोग मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

224 नक्सलियों ने छोड़ा हथियार

साल 2025 में अब तक तेलंगाना में कुल 224 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। ये आंकड़ा दर्शाता है कि सरकार और पुलिस की योजनाएं कारगर साबित हो रही हैं। नक्सलियों को यह समझ में आने लगा है कि अब माओवादी विचारधारा प्रासंगिक नहीं रह गई है और वह समाज में डर और अविश्वास का कारण बन गई है।

नक्सल हिंसा का काला चेहरा

नक्सलवाद की हिंसा से कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। हाल ही में रामपुर गांव की एक आदिवासी महिला ने माओवादियों द्वारा लगाए गए विस्फोटक के कारण अपना पैर गंवा दिया, जबकि सोदीपारा गांव की एक अन्य महिला की विस्फोट में मौत हो गई। ये गांव छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले की सीमा पर स्थित हैं। पुलिस का मानना है कि नक्सली जानबूझकर विकास कार्यों में बाधा डालते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अगर इन क्षेत्रों में तरक्की हुई तो उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

सरकार का लक्ष्य: मार्च 2026 तक नक्सलवाद का अंत

केंद्र सरकार ने 2026 तक देश को नक्सल समस्या से मुक्त करने का संकल्प लिया है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मार्च 2026 के बाद देश में नक्सलवाद इतिहास बन जाएगा। सरकार अब लगातार उन लोगों से अपील कर रही है जो अब भी माओवाद से जुड़े हुए हैं कि वे हिंसा छोड़कर सामान्य जीवन अपनाएं।  पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो भी व्यक्ति आत्मसमर्पण करना चाहता है, वह अपने परिवार के माध्यम से या सीधे थाने या जिला अधिकारियों से संपर्क कर सकता है।

 

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