57 वर्षीय शख्स ने घर-बार बेचकर 500 अनाथ बच्चों को पढ़ाया, अब 183 बने वकील और इंजीनियर

Edited By Parminder Kaur,Updated: 19 Aug, 2024 04:23 PM

a 57 year old man sold his house to educate 500 orphans

57 वर्षीय बलराम करण 500 अनाथ बच्चों के लिए माता-पिता की भूमिका निभा रहे हैं। पिछले 30 वर्षों से वे इन बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी दुकान, घर और जमीन तक बेच दी। पैसे की कमी होने पर उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों से मदद भी मांगी।

नेशनल डेस्क. 57 वर्षीय बलराम करण 500 अनाथ बच्चों के लिए माता-पिता की भूमिका निभा रहे हैं। पिछले 30 वर्षों से वे इन बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी दुकान, घर और जमीन तक बेच दी। पैसे की कमी होने पर उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों से मदद भी मांगी।

आज इनमें से 183 बच्चे आत्मनिर्भर हो चुके हैं। कुछ इंजीनियर बने हैं, कुछ वकील और कुछ नर्स हैं। बलराम करण की यह प्रेरणादायक कहानी 1995 से शुरू हुई, जब 27 साल की उम्र में उन्होंने पहला अनाथ बच्चा अपने घर लाया।

2004 में जर्मनी में रहने वाले प्रवासी बंगाली विमल राय ने अनाथ बच्चों के लिए अपनी मां, पिता और बहन के नाम पर 50 लाख रुपए की मदद दी और 3 इमारतें बनवाने के लिए कहा। अब 20 बीघा जमीन पर पूरा आश्रम है। यहां रहने वाले बच्चे अब आश्रम के लिए दान भी भेजते हैं। इसके अलावा बीरभूम और बर्दवान में भी उनके आश्रम स्थापित हैं।


बलराम करण बताते हैं कि एक दिन जब वे कहीं जा रहे थे, उन्होंने देखा कि 2-3 साल का बच्चा कूड़ेदान से खाना निकालकर खा रहा था। यह देखकर वे बहुत प्रभावित हुए और उसे अपने घर ले आए। उनकी पहले से ही 3 बेटियां और एक बेटा था और गुजारा मुश्किल से होता था, फिर भी वे जहां भी अनाथ बच्चा देखते उसे अपने घर ले आते।

बलराम ने तस्करी की शिकार गर्भवती युवती को भी अपनी बहू बनाया। वे बताते हैं कि उस युवती को अपने बच्चे के स्कूल में भर्ती करवाने के लिए पिता का नाम चाहिए था। इसलिए उन्होंने अपने बेटे के साथ 2020 में उसकी शादी करवा दी। आज उसका पोता छह साल का हो चुका है।

बलराम ने आश्रम में पली 49 युवतियों का कन्यादान पिता की तरह किया है। यह आश्रम ही उनके लिए मायका बन गया है। बिहार की रहने वाली शीतल और राधी यादव, जो 4 और 3 साल की उम्र से यहां रह रही हैं, अब सफल हो चुकी हैं। शीतल की छोटी बहन कलकत्ता हाईकोर्ट में वकालत कर रही है, जबकि शीतल को कोलकाता के आरएन टैगोर अस्पताल में नौकरी मिली है।

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