Edited By Pardeep,Updated: 07 Feb, 2025 11:51 PM
![a 7 year old girl was raped the court sentenced the culprit to death](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_23_50_58503453400-ll.jpg)
मध्यप्रदेश के इंदौर की एक विशेष अदालत ने सात वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के 22 वर्षीय दोषी को शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई। अभियोजन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। विशेष न्यायाधीश सविता जड़िया ने मंगल पंवार (22) को तत्कालीन भारतीय दंड विधान की...
नेशनल डेस्कः मध्यप्रदेश के इंदौर की एक विशेष अदालत ने सात वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के 22 वर्षीय दोषी को शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई। अभियोजन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। विशेष न्यायाधीश सविता जड़िया ने मंगल पंवार (22) को तत्कालीन भारतीय दंड विधान की धारा 376 (एबी) (12 साल से कम उम्र की लड़की से बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के दो संबद्ध प्रावधानों के तहत मृत्युदंड सुनाया।
पॉक्सो अधिनियम से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत ने इस घटना के कारण पीड़िता को हुई मानसिक और शारीरिक पीड़ा के मद्देनजर उसे पांच लाख रुपए का मुआवजा प्रदान किए जाने का आदेश भी दिया। प्रभारी जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजय कुमार मीना ने मीडिया को बताया कि पंवार शहर के हीरा नगर थानाक्षेत्र में 27 फरवरी 2024 को अपने घर के बाहर खेल रही सात वर्षीय लड़की को पास के खाली भूखंड पर ले गया, जहां उसने उसके साथ बेहद ‘‘क्रूरता से दुष्कर्म किया जिससे उसके निजी अंगों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा।''
उन्होंने बताया कि विशेष अदालत ने नाबालिग लड़की से ‘‘क्रूरतापूर्ण दुष्कर्म'' की घटना को दुर्लभ से भी दुर्लभतम प्रकरण की श्रेणी में रखते हुए मुजरिम को मृत्युदंड सुनाया। इस मामले में अभियोजन की ओर से खुद मीना ने पैरवी की थी। उन्होंने बताया कि पंवार के खिलाफ जुर्म साबित करने के लिए अदालत में अभियोजन की ओर से 22 गवाह, पीड़ित लड़की की मेडिकल रिपोर्ट और मुजरिम की डीएनए रिपोर्ट पेश की गई थी। अदालत ने बलात्कार की पीड़िताओं के प्रति समाज के नजरिये पर चिंता जताते हुए अपने फैसले में टिप्पणी की, ‘‘अगर कोई महिला या लड़की या बच्ची दुष्कर्म के बाद जीवित रह जाती है तो उसकी जिंदगी मृत्यु से भी ज्यादा कष्टदायक हो जाती है।''
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मुजरिम ने सात वर्षीय बच्ची के साथ ‘‘क्रूरतापूर्वक'' दुष्कर्म किया और उसके यौनांगों को गंभीर क्षति पहुंचाई जिससे वह 20 दिन तक अस्पताल में भर्ती रही जहां उसकी प्लास्टिक सर्जरी की गई। अदालत ने सजा के मामले में मुजरिम के प्रति नरमी बरतने से इनकार करते हुए कहा कि उसकी मानसिकता के मद्देनजर वह भविष्य में भी ऐसा अपराध कर सकता है जिससे किसी पीड़ित व्यक्ति की जान जा सकती है।