AI की वजह से चली गई लड़की की नौकरी, सोशल मीडिया पर इस तरीके से निकाली भड़ास

Edited By Mahima,Updated: 08 Nov, 2024 04:26 PM

a girl lost her job because of ai

पाकिस्तानी कंटेंट राइटर दमिशा इरफान ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर बताया कि AI डिटेक्टर की वजह से उनकी नौकरी चली गई। AI टूल ने उनके ओरिजिनल कंटेंट को गलती से मशीन द्वारा लिखा हुआ मान लिया। दमिशा ने सवाल उठाया कि क्या हम तकनीकी उपकरणों पर अत्यधिक...

नेशनल डेस्क: आजकल की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का असर हर क्षेत्र में देखा जा रहा है। AI न सिर्फ हमारे जीवन को आसान बना रहा है, बल्कि यह हमारी नौकरी और करियर को भी प्रभावित कर रहा है। जहां कुछ लोग AI को मददगार मान रहे हैं, वहीं कुछ के लिए यह नुकसानदेह साबित हो रहा है। इसी कड़ी में एक पाकिस्तानी लड़की की नौकरी AI की वजह से चली गई, और उसने सोशल मीडिया पर अपनी परेशानी साझा की, जो अब तेजी से वायरल हो रहा है। 

क्या है पूरा मामला?
पाकिस्तान की दमिशा इरफान, जो एक कंटेंट राइटर हैं, ने हाल ही में एक पोस्ट लिखकर अपनी दिक्कत को सबके सामने रखा। दमिशा ने बताया कि उन्हें एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी पाने के लिए एक कंटेंट लिखने को कहा गया था, जिसे उन्होंने पूरी मेहनत और रचनात्मकता से तैयार किया। लेकिन, जब कंपनी ने उनका काम जांचा, तो AI डिटेक्टर टूल्स ने इसे ‘AI-जनरेटेड’ यानी कि मशीन द्वारा लिखा हुआ मान लिया और इस आधार पर उनका चयन नहीं किया गया। दमिशा ने अपने पोस्ट में लिखा, "मुझे सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं मिली क्योंकि मेरे द्वारा लिखे गए कंटेंट को एक अविश्वसनीय AI डिटेक्टर ने गलत तरीके से पहचान लिया। यह टूल्स इंसान और AI द्वारा लिखे गए कंटेंट के बीच अंतर नहीं कर पा रहे हैं। जब मैंने अपने काम में ओरिजिनलिटी दिखाने की पूरी कोशिश की, तो इस 'AI डिटेक्टर' ने उसे नकार दिया।"

AI डिटेक्टर पर सवाल उठाती हैं दमिशा
दमिशा ने इस घटना के माध्यम से एक गंभीर सवाल उठाया कि क्या AI पर अत्यधिक निर्भरता से इंसानों की प्रतिभा और मेहनत की कद्र नहीं की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा, "क्या हम तकनीकी उपकरणों की वजह से अपनी सोच, रचनात्मकता और निर्णय क्षमता खो रहे हैं? अब हमें यह सोचने की जरूरत है कि हम AI टूल्स का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं। क्या इन्हें हमारी मेहनत और कड़ी काम को पहचानने का सही तरीका माना जा सकता है?" यह सवाल न केवल दमिशा के लिए, बल्कि समूचे टेक्नोलॉजी क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। दमिशा का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और लोग इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। 

सोशल मीडिया पर आई प्रतिक्रियाएं
दमिशा के इस पोस्ट पर सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। एक यूजर ने लिखा, "यह बहुत चिंताजनक है कि सिर्फ AI के माध्यम से यह निर्णय लिया जा रहा है कि कंटेंट इंसान का है या AI का। क्या हमें खुद के फैसले लेने की जगह मशीनों पर इतना भरोसा करना चाहिए?" एक अन्य यूजर ने कहा, "AI टूल्स के बारे में एक बात साफ है - ये हमेशा सटीक नहीं होते। जब हम अपनी नौकरी की पहचान इन टूल्स पर छोड़ देंगे, तो इसका मतलब है कि हम अपनी क्षमता और मेहनत को नजरअंदाज कर रहे हैं।" कुछ यूजर्स ने यह भी पूछा कि AI डिटेक्टर आखिरकार कैसे यह पहचान सकते हैं कि किसी व्यक्ति की रचनात्मकता स्तर कितना ऊंचा है। एक यूजर ने तो यह भी लिखा, "यह तो बिल्कुल असंभव है कि AI इंसान के विचार और मेहनत का सही मूल्यांकन कर सके। आखिरकार, यह निर्णय हमें खुद लेना चाहिए।"



क्या AI पर इतना भरोसा करना सही है?
AI डिटेक्टर टूल्स का मुख्य उद्देश्य यह है कि यह यह पहचान सकें कि किसी लेख या कंटेंट को इंसान ने लिखा है या AI ने। लेकिन जैसा कि दमिशा के मामले में देखा गया, यह टूल्स हमेशा सही साबित नहीं हो रहे हैं। AI डिटेक्टर कभी-कभी गलत निर्णय भी ले सकते हैं, क्योंकि ये इंसानी रचनात्मकता और सोच को पूरी तरह से समझ नहीं पाते। इंसान द्वारा लिखे गए कंटेंट में भावनाओं, विचारों और रचनात्मकता का एक अलग स्तर होता है, जिसे AI पहचान नहीं सकता। कई विशेषज्ञों का मानना है कि AI टूल्स को केवल सहायक के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि इन्हें फैसले लेने का अधिकार देना चाहिए। अगर कंपनियां और संगठन केवल इन टूल्स पर भरोसा करके नौकरी के चयन का फैसला करेंगे, तो वे कई टैलेंटेड और मेहनती लोगों को मौका नहीं दे पाएंगे।

दमिशा की चिंता का सही सवाल
दमिशा ने अपनी पोस्ट में लिखा, "क्या हम अपने भविष्य को AI के हाथों सौंप रहे हैं?" यह सवाल बेहद गंभीर है, क्योंकि AI तकनीक का विकास जितना तेज़ हो रहा है, उतना ही हमें यह सोचने की जरूरत है कि हम इसे अपने फैसलों में कहां तक और कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या यह हमारे निर्णयों में सही मार्गदर्शन दे पा रहा है या सिर्फ हमारी रचनात्मकता और मेहनत को नकार रहा है? दमिशा का यह सवाल समाज में एक बहस छेड़ चुका है कि हमें इस तकनीक के बारे में सोच-समझकर फैसला लेना होगा। क्या हम AI पर इतना भरोसा करेंगे कि यह हमारी मेहनत और विचारों की जगह ले सके?

दमिशा इरफान का मामला इस बात का संकेत है कि हमें AI के उपयोग को लेकर अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। जहां एक ओर AI टूल्स कई कामों को तेज़ और आसान बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इनके गलत इस्तेमाल से कई प्रतिभाशाली लोगों की मेहनत पर पानी भी फिर सकता है। यही समय है जब हमें यह समझने की जरूरत है कि तकनीक का इस्तेमाल हमें अपने फायदे के लिए करना चाहिए, न कि वह हमें हमारी रचनात्मकता और सोच से वंचित कर दे। AI को एक सहायक के रूप में देखा जाए, न कि इसे किसी इंसान के फैसले का स्थान लेने दिया जाए।

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