Edited By Yaspal,Updated: 28 Sep, 2024 07:25 PM
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि एक विवाहित महिला ये दावा नहीं कर सकती कि वह किसी शख्स की ओर से शादी के झूठे वादे का शिकार हुई और उस आधार पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दी
मुंबईः बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि एक विवाहित महिला ये दावा नहीं कर सकती कि वह किसी शख्स की ओर से शादी के झूठे वादे का शिकार हुई और उस आधार पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दी। सिंगल जज जस्टिस मनीष पितले ने रेप के एक मामले में पुणे पुलिस की ओर से गिरफ्तार एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए यह टिप्पणी की।
बॉम्बे हाईकोर्ट के जज ने यह बातें रेप केस में गिरफ्तार पुणे के युवक को जमानत देते हुए कही। कोर्ट ने कहा कि जब शादीशुदा को महिला को पता है कि वो दूसरी शादी नहीं कर सकती तो यह झांसा कैसे हुआ? अगर किसी मामले में आरोपी भी शादीशुदा हो तो तब भी उसका यह दावा साबित नहीं होता है।
यह है पूरा मामला
बता दें कि एक विवाहिता ने विशाल शिंदे नामक शख्स के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था। रेप का आरोप लगाने वाली महिला स्वयं शादीशुदा है। महिला ने पुलिस को दी शिकायत में कहा कि दोनों के बीच पहले दोस्ती हो गई, इसके बाद विशाल ने शादी का झांसा देकर उसके साथ रेप किया। उसने इसका वीडियो भी बना लिया।
शादी के झूठे वादे का सिद्धांत गलत-हाई कोर्ट
कोर्ट ने आगे कहा, ''मामले में, यहां तक कि आवेदक एक विवाहित व्यक्ति है और इसलिए, शादी के झूठे वादे का सिद्धांत प्रथम दृष्टया गलत प्रतीत होता है।'' अदालत विशाल नागनाथ शिंदे की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर भारतीय दंड संहिता के तहत रेप और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया गया था।
शिकायतकर्ता एक विवाहित महिला है। वहीं विशाल नागनाथ शिंदे नाम के जिस शख्स पर आरोप है वो भी शादी-शुदा है। महिला ने आरोप लगाया कि शिंदे ने उसके साथ दोस्ती की और उससे शादी करने का वादा किया, जिसके बाद उसने कथित तौर पर एक लॉज में उसके साथ जबरदस्ती की।
घटना के बाद, उसने दावा किया कि उसने हमले के वीडियो प्रसारित करने की धमकी दी। शिंदे के वकील ने दलील दी कि उन्होंने जांच में सहयोग किया है। उन्होंने खासकर उनकी वैवाहिक स्थिति को देखते हुए महिला के दावों की विश्वसनीयता पर भी चिंता जताई।