Edited By Parminder Kaur,Updated: 17 Feb, 2025 10:02 AM

इस बार महाशिवरात्रि पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो पिछले 60 सालों में कभी नहीं हुआ। भारतीय ज्योतिष और पंचांग की गणना के अनुसार, महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र और परिध योग के साथ मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। यह एक विशेष खगोलीय घटना है,...
नेशनल डेस्क. इस बार महाशिवरात्रि पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो पिछले 60 सालों में कभी नहीं हुआ। भारतीय ज्योतिष और पंचांग की गणना के अनुसार, महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र और परिध योग के साथ मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। यह एक विशेष खगोलीय घटना है, जो बहुत कम समय में घटित होती है।
उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में इस बार शिवनवरात्रि उत्सव 17 फरवरी से शुरू हो रहा है। यह उत्सव नौ दिन तक चलेगा, जिसमें भगवान शिव की उपासना, तपस्या और साधना की जाएगी। इस वर्ष खास बात यह है कि हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि में वृद्धि होने से इस उत्सव को 10 दिनों तक मनाया जाएगा। इस दौरान भक्तों को हर दिन भगवान श्रीमहाकालेश्वर के अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन होंगे।
60 साल बाद बन रहा विशेष संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार, 1965 में महाशिवरात्रि पर सूर्य, बुध और शनि ग्रह कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे, जबकि इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी को होगी और मकर राशि के चंद्रमा के साथ यही ग्रह युति करेंगे। इस प्रकार यह दुर्लभ संयोग कई दशकों में एक बार बनता है।
सूर्य-बुध का केंद्र त्रिकोण योग
इस बार महाशिवरात्रि पर सूर्य और बुध का केंद्र त्रिकोण योग भी बन रहा है, जो विशेष महत्व रखता है। इस योग के प्रभाव से विशेष साधना करने पर पराक्रम और प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के चार प्रहरों में विशेष प्रकार की साधना करनी चाहिए, ताकि जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सके।