Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jul, 2017 03:28 PM
देश में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां पढ़ाने के लिए टीचर्स तो हैं तो पर पढ़ने वाला कोई नहीं।
नई दिल्ली: देश में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां पढ़ाने के लिए टीचर्स तो हैं तो पर पढ़ने वाला कोई नहीं। इस स्कूल का नाम है गर्वमेंट अपर प्राइमरी संस्कृत स्कूल, जाेकि राजस्थान के सीकर जिले के प्रातपपुरा गांव में है। ये स्कूल दूसरे स्कूलों से इसलिए अलग है, क्याेंकि यहां अापकाे बच्चाें का शाेर बिल्कुल नहीं मिलेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस स्कूल में 6 क्लासरूम और 4 टीचर है, जाे सुबह 8:00 बजे स्कूल आते हैं। पौधों को पानी देते हैं, अखबार पढ़ते हैं, एक-दूसरे से बात करते हैं और फिर 2:00 बजे घर चले जाते हैं। इतना ही नहीं उनकी तनख्वाह भी समय से आती है।
इस स्कूल को 1998 में बनाया गया था। तब यहां पास के गांवों से भी बच्चे पढ़ने आते थे। 2005 में बच्चों की संख्या 55 थी पर उसके बाद कम होती चली गई। 2015-16 में केवल 4 बच्चे गए, जिन्हें पिछले साल उनके पेरेंट्स ने हटा लिया। अब यहां काेई बच्चा नहीं पढ़ता। टीचर्स ने इस बाबत राज्य के एजुकेशन डिपार्टमेंट को खत लिखकर कहा था है कि वे उन्हें जयपुर शिफ्ट कर दें या पास के ऐसे स्कूलों में ट्रांसफर कर दें जहां अध्यापकों की जरूरत हो। लेकिन कई महीने बीत जाने के बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। स्कूल हेड सन्वरमल ने एचटी का कहना है कि हमें पूरे दिन बैठे रहने में शर्म आती है। कभी यहां पर 50 से ज्यादा छात्र हुआ करते थे पर पिछले कुछ सालों में परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं।