बिना मूर्ति वाला मंदिर! देवी के घुटने की होती है पूजा, नवरात्रि पर उमड़ेगी लाखों श्रद्धालुओं की भीड़

Edited By Parveen Kumar,Updated: 30 Mar, 2025 05:14 PM

a temple without an idol the goddess  knee is worshipped

चैत्र नवरात्रि का पर्व आते ही राजस्थान के जोबनेर में स्थित प्रसिद्ध ज्वाला माता मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। यह मंदिर शक्तिपीठ माना जाता है, जहां देवी सती के घुटने की पूजा की जाती है।

नेशनल डेस्क : चैत्र नवरात्रि का पर्व आते ही राजस्थान के जोबनेर में स्थित प्रसिद्ध ज्वाला माता मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। यह मंदिर शक्तिपीठ माना जाता है, जहां देवी सती के घुटने की पूजा की जाती है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां कोई मूर्ति नहीं, बल्कि गुफा में प्राकृतिक रूप से बनी आकृति की पूजा की जाती है।

अखंड ज्योत और चांदी के बर्तनों में आरती

मंदिर में अखंड ज्योत जलती रहती है, जिसे भक्त अपनी आस्था का प्रतीक मानते हैं। यहां चांदी के बर्तनों में भव्य आरती होती है, जो नवरात्रि के दौरान खास आकर्षण होता है। देवी के श्रृंगार में चुनरी और पारंपरिक वस्त्रों का उपयोग किया जाता है।

लक्खी मेला और ऐतिहासिक महत्व

यह मंदिर चौहान काल (संवत 1296) में बना था और बाद में इसे जोबनेर के शासक जगमाल पुत्र खंगार ने और विकसित किया। यहां हर साल लक्खी मेले का आयोजन होता है, जिसमें हजारों भक्त पहुंचते हैं। नवविवाहित जोड़े और परिवार अपने बच्चों का मुंडन संस्कार करवाने भी यहां आते हैं।

ब्रह्म और रुद्र रूप में पूजा

मंदिर में देवी की दो रूपों में पूजा की जाती है-
ब्रह्म (सात्विक) रूप:
जिसमें खीर, पूरी, चावल और नारियल का भोग लगाया जाता है।
रुद्र (तांत्रिक) रूप: जिसमें मांस और मदिरा का भोग चढ़ाया जाता है।

जो श्रद्धालु हिमाचल प्रदेश के ज्वाला माता मंदिर तक नहीं पहुंच सकते, वे जोबनेर आकर अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। यह मंदिर राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और शक्ति साधना का प्रमुख केंद्र है, जहां नवरात्रि के दौरान भव्य आयोजन होते हैं।

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