Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 14 Mar, 2025 05:50 PM

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में देवा शरीफ की होली एक अनूठी मिसाल पेश करती है। यहाँ न तो मस्जिद पर कोई पर्दा होता है और न ही जुम्मे का कोई असर दिखता है। यहाँ हर तरफ "जय श्रीराम" और "हर हर बम बम" के नारे गूंजते हैं
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में देवा शरीफ की होली एक अनूठी मिसाल पेश करती है। यहाँ न तो मस्जिद पर कोई पर्दा होता है और न ही जुम्मे का कोई असर दिखता है। यहाँ हर तरफ "जय श्रीराम" और "हर हर बम बम" के नारे गूंजते हैं और हिंदू-मुस्लिम एकता का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। जहाँ एक तरफ देश के कई हिस्सों में होली के दौरान मस्जिदों को ढका जाता है और जुम्मे के दिन कुछ लोग बाहर निकलने से परहेज करते हैं वहीं देवा शरीफ में ऐसा कुछ नहीं होता। यहाँ सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर होली खेलते हैं। देवा शरीफ की होली विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह मजार हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यहाँ रंगों का कोई मजहब नहीं होता। रंगों की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। यही कारण है कि हर साल यहाँ गुलाल और गुलाब से सभी धर्मों के लोग एक साथ होली खेलते हैं और आपसी भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश करते हैं।
सूफी संत हाजी वारिस अली शाह का संदेश था "जो रब है वही राम है"। शायद यही कारण है कि यह स्थान हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश देता आ रहा है। इस मजार पर मुस्लिम समुदाय से कहीं ज्यादा संख्या में हिंदू समुदाय के लोग आते हैं। कौमी एकता गेट से लोग नाचते गाते गाजे बाजे के साथ जुलूस निकालते हैं। यह जुलूस हर साल की तरह देवा कस्बे से होता हुआ दरगाह पर पहुँचता है। इस जुलूस में हर धर्म के लोग शामिल होते हैं।
देवा शरीफ में होली खेलने की परंपरा सैकड़ों साल पहले से चली आ रही है। यहाँ गुलाल और गुलाब से होली खेली जाती है। होली के दिन यहाँ देश के कोने-कोने से सभी धर्मों के लोग आते हैं और एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाकर भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं। देवा की वारसी होली कमेटी के अध्यक्ष शहजादे आलम वारसी ने बताया कि मजार पर होली होती आई है और इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं। होली पर कई क्विंटल गुलाल और गुलाब से यहाँ होली खेली जाती है।