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दिल्ली विधानसभा चुनाव : अंतिम हफ्ते आक्रामक रणनीति लेकर उतरी ‘आप’

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 01 Feb, 2025 03:44 PM

aap came out with aggressive strategy in the last week

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आखिरी हफ्ते की रणनीति में आम आदमी पार्टी ने दो मुद्दों पर जोर रखा है। एक है रेवड़ी पर फोकस और दूसरा है राजनीतिक षड्यंत्र का जवाब। अधिक से अधिक विधानसभा में अरविन्द केजरीवाल की मौजूदगी और बड़े-बड़े नेताओँ की अलग-अलग सभाओं के...

नेशनल डेस्क। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आखिरी हफ्ते की रणनीति में आम आदमी पार्टी ने दो मुद्दों पर जोर रखा है। एक है रेवड़ी पर फोकस और दूसरा है राजनीतिक षड्यंत्र का जवाब। अधिक से अधिक विधानसभा में अरविन्द केजरीवाल की मौजूदगी और बड़े-बड़े नेताओँ की अलग-अलग सभाओं के साथ हर विधानसभा को अंतिम हफ्ते में कम से कम दो बार कवर करने की रणनीति है। बीजेपी के साथ दो-दो हाथ कर रही आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की अनदेखी करने की रणनीति में भी थोड़ा बदलाव किया है। राहुल गांधी के आरोपों का जवाब आक्रामक तरीके से देने की रणनीति दिख रही है।

आम आदमी पार्टी की यूएसपी आम लोगों के लिए सहूलियत, बचत और आमदनी कराना और कथित रेवड़ी है। बीजेपी हो या कांग्रेस सबके घोषणापत्रों में अरविन्द केजरीवाल के ‘रेवड़ी कल्चर’ की छाप नज़र आती है। राजनीतिक रूप से आम आदमी पार्टी और खासतौर से अरविन्द केजरीवाल की राजनीति को बीजेपी और कांग्रेस ने मजबूत ही किया है। ‘मुफ्तखोरी की आदत लगाने’ जैसे हमले बीजेपी और कांग्रेस किया करती थी। लेकिन दोनों ही पार्टियां अपने-अपने घोषणापत्रों में सीधे आम आदमी से मुकाबला करने की होड़ दिखाती नज़र आयीं। आम आदमी पार्टी ने दो कदम आगे बढ़कर मुफ्त की योजनाओं का मॉनेटाइजेशन करते हुए इसका लाभ जनता को दिखाना शुरू कर दिया। नए नैरेटिव सामने आए और यह बाकी दलों पर भारी पड़ रहा है।

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कम खर्च, बचत ज्यादा का वादा 

तकरीबन हर सभा में अब अरविन्द केजरीवाल कह रहे हैं कि आम आदमी पार्टी हर परिवार को हर महीने 25 हजार रुपये की बचत करा रही है। इसका पूरा गणित भी वो बताते हैं। 

-    बिजली पर 5,000
-    दो बच्चों की शिक्षा पर 10,000
-    इलाज पर 5,000
-    मुफ्त बस से सफर पर 2,500
-    महिला सम्मान राशि के तौर पर 2,100

अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की जनता को समझाते दिखते हैं कि आम आदमी पार्टी की सरकार है तो ये 25 हजार रुपये की मासिक बचत और आमदनी है। अरविन्द केजरीवाल और उनकी पूरी टीम साफ तौर पर कह रही है कि अगर ‘आप’ इस आमदनी और बचत को खोना चाहते हैं और ऐसा करके दिल्ली में रह सकते हैं तो यकीनन ‘आप’ किसी और तरीके से सोचें। मगर आम आदमी पार्टी 25 हजार रुपये की आमदनी और बचत कराते रहने को कृतसंकल्प है।

अरविन्द केजरीवाल नया नैरेटिव भी गढ़ते हैं कि अगर बीजेपी की सरकार आ गयी तो दिल्ली की जनता को बहुत कुछ खोना भी पड़ेगा। महंगी बिजली के लिए तैयार रहें। झुग्गी वाले अपनी जमीन से बेदखल होने के भी तैयार रहें। केजरीवाल कह रहे हैं कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए बीजेपी सरकार काम करती हैं और यह बात ‘आप’ बीजेपी शासित राज्यों में जारी नीतियों को देखकर समझ सकते हैं। इस नैरेटिव का काउंटर बीजेपी नहीं कर पा रही है। 

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बीजेपी का नैरेटिव बनने नहीं देने की रणनीति

बीजेपी की हरियाणा सरकार पर जो आरोप अरविन्द केजरीवाल ने ‘जहरीला पानी’ दिल्ली को भेजने दिल्ली में नरसंहार की साजिश करने और राजनीतिक लाभ लेने के लिए ओछी राजनीति करने का जो आरोप लगाया है उसका जवाब देने में बीजेपी को मुश्किलें आ रही हैं। चुनाव आयोग की ओर से जरूर तुरंत सक्रियता दिखी नोटिस दिए गये। जवाब भी मांगे गये। मगर राजनीतिक रूप से जो जवाब बीजेपी ने देने की कोशिश दिखलाई उसका रुख भी आम आदमी पार्टी ने पलट दिया। हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने हरियाणा से गुजरती यमुना का पानी पीने और केजरीवाल को चुनौती देने की कोशिश की कि वे भी दिल्ली में यमुना का पानी पीकर दिखलाएं। मगर तस्वीरों में नायब सैनी साफ तौर पर पकड़ लिए गये। वे पानी पी नहीं रहे थे बल्कि पानी का कुल्ला करते दिखे। जाहिर है बीजेपी को आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ नैरेटिव गढ़ने से रोक लिया गया। 

राजनीतिक ‘षडयंत्र’ का मुकाबला करने पर जोर

राजनीतिक षड्यंत्र का पर्दाफाश करते रहने को आम आदमी पार्टी ने गंभीरता से लिया। इसकी बानगी देखें। दिल्ली के पुलिस-प्रशासन और पूरी मीडिया के समर्थन से एक बात जो बीजेपी फैलाने की कोशिश करती नजर आयी वह यह कि दिल्ली में पंजाब से शराब और रुपये बांटे जा रहे हैं। संजय सिंह ने इस नैरेटिव का धराशायी कर दिखाया। साफ तौर पर कहा कि कोई क्रेटा गाड़ी पंजाब सरकार इस्तेमाल नहीं करती। जब्त की गयी गाड़ी पर जो नंबर प्लेट लगे हैं वह फर्जी हैं। सेना से रिटायर मेजर जो इन दिनों पुणे में रहते हैं उनकी नंबर प्लेट जब्त की गयी गाड़ी में लगी मिली है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के खिलाफ एक गलत नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश का पर्दाफाश हो गया। 

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राहुल गांधी को भी आईना दिखाया

चुनाव से दस दिन पहले चुनाव मैदान में राहुल गांधी उतरे हैं तो उनके हमले का मुंह भी अरविन्द केजरीवाल और उनकी सरकार है। कांग्रेस की अनदेखी करती रही आम आदमी पार्टी को राहुल गांधी का जवाब देना इसलिए जरूरी है कि वे उनके वोट बैंक में भ्रम पैदा कर सकते हैं। सीमित प्रभाव रखने वाली कांग्रेस जो कुछ भी नुकसान आम आदमी पार्टी को करेगी उसका फायदा बीजेपी न उठा ले इसकी चिंता अरविन्द केजरीवाल करते दिख रहे हैं। यही कारण है कि नेशनल हेराल्ड केस का उदाहरण देकर और यह सवाल पूछकर कि रॉबर्ट वाड्रा के केस में बीजेपी की सरकार ने उन्हें क्लीन चिट दिया अरविन्द केजरीवाल संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि बीजेपी और कांग्रेस में मिली भगत है। 

आक्रामक चुनाव प्रचार और आक्रामक तरीके से आरोपों और षडयंत्रों का जवाब देकर आम आदमी पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति को धारदार बना दिया है। बीजेपी और कांग्रेस के हमलों को प्रभावहीन बनाने के लिए यही रणनीति ‘आप’ को मुफीद लग रही है। नेतृत्व और आक्रमण के मामले में ‘आप’ के समांतर बीजेपी और कांग्रेस कहीं ठहरती नज़र नहीं आ रही है। विधानसभा चुनाव में केजरीवाल के नेतृत्व के सामने विपक्ष कोई बड़ा नैरेटिव बना नहीं सका है। अब चंद दिनों में इस स्थिति को पलटना बीजेपी और कांग्रेस के लिए बेहद मुश्किल टास्क है। 

आशुतोष भारद्वाज, वरिष्ठ पत्रकार

Disclaimer : यह लेखक के अपने निजी विचार हैं। 
 

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