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'लोढ़ा' नाम पर भाईचारा जीता, अभिषेक और अभिनंदन लोढ़ा ने आपसी समझौते से खत्म किया ट्रेडमार्क विवाद

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 15 Apr, 2025 04:27 PM

abhishek and abhinandan lodha ended the trademark dispute by mutual agreement

देश के बड़े रियल एस्टेट कारोबारी परिवार के दो भाइयों अभिषेक लोढ़ा और अभिनंदन लोढ़ा के बीच चल रहा ट्रेडमार्क विवाद अब सुलझ गया है। दोनों ने आपसी सहमति और मध्यस्थता के जरिए सभी विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से खत्म कर लिया है।

नेशनल डेस्क: देश के बड़े रियल एस्टेट कारोबारी परिवार के दो भाइयों अभिषेक लोढ़ा और अभिनंदन लोढ़ा के बीच चल रहा ट्रेडमार्क विवाद अब सुलझ गया है। दोनों ने आपसी सहमति और मध्यस्थता के जरिए सभी विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से खत्म कर लिया है। यह समझौता उनके माता-पिता के मार्गदर्शन में हुआ है और इसे देश की अदालत और परिवार के बुजुर्गों का समर्थन भी मिला। दोनों कंपनियोंमैक्रोटेक डेवलपर्स (अभिषेक लोढ़ा) और हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा (एचओएबीएल) ने एक संयुक्त बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी।

चार बिंदुओं पर बनी सहमति, स्पष्ट हुआ ब्रांड का मालिकाना हक

इस समझौते के तहत चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दोनों भाइयों ने सहमति जताई है—

  1. ब्रांड अधिकारों की स्पष्टता:
    'लोढ़ा' और 'लोढ़ा ग्रुप' ब्रांड नाम का उपयोग अब सिर्फ मैक्रोटेक डेवलपर्स यानी अभिषेक लोढ़ा के पास रहेगा। वहीं, अभिनंदन लोढ़ा अपने ब्रांड 'हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा (एचओएबीएल)' का विशेष रूप से उपयोग करेंगे।

  2. कोई आपसी कारोबारी संबंध नहीं:
    अब 'लोढ़ा ग्रुप' और 'एचओएबीएल' का आपस में कोई व्यावसायिक संबंध नहीं रहेगा। दोनों कंपनियां यह बात खुले तौर पर सबको बताने की जिम्मेदारी भी लेंगी ताकि बाजार में कोई भ्रम न रहे।

  3. एक-दूसरे के कारोबार पर कोई दावा नहीं:
    अभिषेक लोढ़ा अभिनंदन के किसी कारोबार में दखल नहीं देंगे और न ही कोई दावा करेंगे। उसी तरह अभिनंदन लोढ़ा भी अभिषेक की कंपनियों या उनके व्यापार में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

  4. समझौता हुआ तत्काल प्रभाव से लागू:
    यह आपसी सहमति अब से ही प्रभावी हो गई है। यानी अब किसी भी तरह का विवाद या भ्रम दोनों पक्षों के ब्रांड को लेकर नहीं रहेगा।

न्यायमूर्ति रवींद्रन की मध्यस्थता से हुआ समाधान

इस विवाद को सुलझाने में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की भूमिका अहम रही। बंबई उच्च न्यायालय ने उन्हें इस मामले में मध्यस्थता के लिए नियुक्त किया था। दोनों भाइयों ने न्यायमूर्ति रवींद्रन के प्रति आभार जताया है और कहा कि उनकी निष्पक्ष भूमिका ने इस संवेदनशील पारिवारिक और व्यावसायिक विवाद को सुलझाने में बड़ी मदद की।

पारिवारिक हस्तक्षेप से बढ़ा समाधान की ओर भरोसा

संयुक्त बयान में यह भी बताया गया कि इस विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने में लोढ़ा परिवार के बुजुर्गों, शुभचिंतकों और न्यायालय का भी बड़ा योगदान रहा। दोनों कंपनियों ने यह भी साफ किया कि अब इस मुद्दे पर आगे कोई बयान नहीं दिया जाएगा।

कैसे शुरू हुआ था विवाद?

अभिनंदन लोढ़ा ने साल 2015 में 'लोढ़ा ग्रुप' से अलग होकर 'हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा' (एचओएबीएल) नाम से अपना स्वतंत्र कारोबार शुरू किया था। हालांकि 2017 में पारिवारिक समझौते के तहत इसे औपचारिक मान्यता मिली, लेकिन 'लोढ़ा' नाम के इस्तेमाल को लेकर दोनों भाइयों के बीच मतभेद गहराते चले गए। जनवरी 2025 में यह विवाद तब सामने आया जब मैक्रोटेक डेवलपर्स ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

5,000 करोड़ रुपये का हर्जाना और कोर्ट केस

अभिषेक लोढ़ा की कंपनी ने आरोप लगाया कि एचओएबीएल की नई परियोजनाओं और उनके चैनल पार्टनर 'लोढ़ा' और 'लोढ़ा ग्रुप' नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे ग्राहकों में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। कंपनी ने 5,000 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा और अदालत से आग्रह किया कि वह 'लोढ़ा' नाम के इस्तेमाल पर रोक लगाए।

पुलिस में शिकायत और फर्जी दस्तावेजों का आरोप

मैक्रोटेक ने 2 अप्रैल 2025 को आरोप लगाया था कि एचओएबीएल की कुछ इकाइयों ने 'लोढ़ा' ट्रेडमार्क के अधिकार दिखाने के लिए फर्जी बोर्ड प्रस्तावों का इस्तेमाल किया है और उन्हें सरकारी दफ्तरों में पेश किया है। जवाब में एचओएबीएल ने इन आरोपों का पूरी तरह खंडन किया और 3 अप्रैल को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। 4 अप्रैल को पुलिस को भेजे पत्र में एचओएबीएल ने कहा कि किसी प्रकार की धोखाधड़ी या जालसाजी नहीं की गई है और यह आरोप निराधार हैं।

 

 

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