Adani Vs Ambani: Adani ने Ambani को पछाड़ा.... Mukesh Ambani की लिस्टेड कंपनियों से आगे निकला Adani Group

Edited By Anu Malhotra,Updated: 13 Jan, 2025 09:56 AM

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विलय-अधिग्रहण के क्षेत्र में अदाणी और अंबानी समूहों के बीच वर्षों से जारी प्रतिस्पर्धा ने 2024 में एक नया मोड़ लिया। अदाणी समूह ने 2024 में 6.32 अरब डॉलर के सौदों के साथ रिलायंस समूह को पीछे छोड़ दिया, जिसने इस दौरान 3.14 अरब डॉलर के सौदे किए।

नेशनल डेस्क: विलय-अधिग्रहण के क्षेत्र में अदाणी और अंबानी समूहों के बीच वर्षों से जारी प्रतिस्पर्धा ने 2024 में एक नया मोड़ लिया। अदाणी समूह ने 2024 में 6.32 अरब डॉलर के सौदों के साथ रिलायंस समूह को पीछे छोड़ दिया, जिसने इस दौरान 3.14 अरब डॉलर के सौदे किए।

2023 में हालांकि, रिलायंस समूह ने 8.77 अरब डॉलर के सौदों के साथ वर्चस्व कायम किया था, जबकि अदाणी समूह ने मात्र 1.73 अरब डॉलर के सौदे किए। लेकिन 2024 में अदाणी समूह ने सीमेंट और अन्य क्षेत्रों में अपने बड़े निवेशों के साथ बढ़त हासिल की।

विलय-अधिग्रहण में शीर्ष समूहों का प्रदर्शन
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारत के शीर्ष 5 समूहों की सूचीबद्ध कंपनियों ने 15.28% हिस्सेदारी के साथ 98.7 अरब डॉलर के सौदों को अंजाम दिया। टाटा और आदित्य बिड़ला समूहों ने क्रमश: 1.7 अरब डॉलर और 1.6 अरब डॉलर के सौदे किए।

अंतरराष्ट्रीय विस्तार और निजी निवेशकों की भूमिका
निजी इक्विटी और सॉवरिन निवेशकों ने 2024 में प्रमुख भूमिका निभाई। भारती ग्लोबल ने ब्रिटेन की बीटी ग्रुप में 4 अरब डॉलर का निवेश कर विदेशी बाजारों में सबसे बड़ा सौदा किया। वहीं, अदाणी समूह ने सीमेंट क्षेत्र में अंबुजा सीमेंट्स के जरिए 1.2 अरब डॉलर में पेन्ना सीमेंट और 44 करोड़ डॉलर में ओरियंट सीमेंट में हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया।

2025 की संभावनाएं और उद्योग का भविष्य
विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 में भारतीय कारोबारी समूहों के विलय-अधिग्रहण प्रयासों में और तेजी आने की संभावना है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के भाविन शाह ने कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए यह क्षेत्र रणनीतिक वृद्धि और विविधीकरण की ओर बढ़ रहा है।

कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के सौरव मलिक ने कहा कि भारत में विलय-अधिग्रहण गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। भू-राजनीतिक जरूरतें, अनिश्चितताएं, और बढ़ती ब्याज दरें इस क्षेत्र को प्रभावित कर रही हैं। भारतीय समूह वैश्विक स्तर पर शीर्ष 10 में शामिल हो रहे हैं, जो उनकी बढ़ती ताकत का प्रमाण है।

2024 में भारतीय बाजारों में हुई गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि भारतीय कंपनियां न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी स्थिति मजबूत करने में सफल हो रही हैं।

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