Edited By Parminder Kaur,Updated: 06 Jan, 2024 03:44 PM
अरुणाचल प्रदेश की खास अदरक समेत तीन उत्पादों को प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेतक (जीआई) का टैग दिया गया है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा- ये आदि केकिर (अदरक), तिब्बती निवासियों द्वारा हस्तनिर्मित कालीन और वांचो समुदाय द्वारा बनाई गई लकड़ी...
नेशनल डेस्क. अरुणाचल प्रदेश की खास अदरक समेत तीन उत्पादों को प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेतक (जीआई) का टैग दिया गया है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा- ये आदि केकिर (अदरक), तिब्बती निवासियों द्वारा हस्तनिर्मित कालीन और वांचो समुदाय द्वारा बनाई गई लकड़ी की वस्तुएं हैं।
आदि केकिर पूर्वी सियांग, सियांग और ऊपरी सियांग जिलों में उत्पादित अदरक की एक किस्म है। यह अपने स्वाद और आकार के लिए जाना जाता है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले तिब्बती शरणार्थियों द्वारा तैयार किए गए हस्तनिर्मित कालीन अपने विशिष्ट डिजाइन, रूपांकनों और बनावट के लिए प्रसिद्ध हैं। वांचू लकड़ी के शिल्प आइटम अद्वितीय हैं। इससे कारीगर भगवान बुद्ध, जानवरों और गुड़ियों की मूर्तियां बनाते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) इन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की पहल का समर्थन कर रहा है और वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है। जीआई पंजीकरण के लिए नाबार्ड से समर्थित ऐसे 18 उत्पादों में से छह उत्पादों को अब तक प्रमाणपत्र मिल चुका है। इसके पहले अरुणाचली याक के दूध से बना पनीर याक चुर्पी, नामसाई जिले में उत्पादित चिपचिपे चावल की एक किस्म खामती और चांगलांग जिले के तांगसा कपड़ा को जीआई पहचान मिल चुकी है।