Edited By Parveen Kumar,Updated: 23 Feb, 2025 07:42 PM
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2025 को लेकर रविवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विधेयक ‘कानूनी पेशे की स्वायत्तता पर सीधा हमला' है।
नेशनल डेस्क : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2025 को लेकर रविवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विधेयक ‘कानूनी पेशे की स्वायत्तता पर सीधा हमला' है। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक में तमिल के प्रति भाजपा की अरुचि स्पष्ट है, ‘‘क्योंकि वह तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल का नाम बदलकर मद्रास बार काउंसिल करना चाहती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ तमिलनाडु महज नाम नहीं है, यह हमारी पहचान है।''
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि 2014 से भाजपा सरकार ‘‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुनियोजित तरीके से कमजोर कर रही है - पहले एनजेएसी के माध्यम से न्यायिक नियुक्तियों को नियंत्रित करने की कोशिश करके और फिर न्यायिक नियुक्तियों और स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों को नजरअंदाज करके।'' उन्होंने कहा, ‘‘अब बार काउंसिल पर नियंत्रण की बात करते हुए उसका लक्ष्य कानूनी पेशे की स्वायत्तता को खत्म कर न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करना है।''
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि मसौदा विधेयक के विरूद्ध स्वतःस्फूर्त विरोध और कड़े प्रतिरोध ने केंद्र सरकार को इसे वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया, लेकिन यह जो शर्त है कि इस पर पुनर्विचार किया जाएगा और नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जाएगी, निंदनीय है।'' सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अध्यक्ष स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक को पूरी तरह से वापस लेने की मांग करती है और ‘‘केंद्र सरकार से कानूनी पेशे की स्वायत्तता का सम्मान करने की अपील करती है।'' बार निकायों द्वारा विधेयक के विभिन्न प्रावधानों के विरोध के बीच, सरकार ने शनिवार को कहा कि वह अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक के मसौदे को संशोधित करेगी।