'AFSPA को पूरे राज्य में लागू किया जाए', कुकी विधायकों ने कहा- लूटे गए हथियारों की बरामदगी के लिए जरूरी

Edited By rajesh kumar,Updated: 21 Nov, 2024 07:56 PM

afspa should be implemented in the entire state  kuki mlas said

मणिपुर विधानसभा के 10 कुकी विधायकों ने मांग की है कि लूटे गए हथियारों की बरामदगी के लिए अफस्पा (एएफएसपीए) को पूरे राज्य में लागू किया जाए। इन विधायकों में राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन के सात विधायक भी शामिल...

नेशनल डेस्क: मणिपुर विधानसभा के 10 कुकी विधायकों ने मांग की है कि लूटे गए हथियारों की बरामदगी के लिए अफस्पा (एएफएसपीए) को पूरे राज्य में लागू किया जाए। इन विधायकों में राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन के सात विधायक भी शामिल हैं। केंद्र ने 14 नवंबर को हिंसा प्रभावित जिरीबाम सहित मणिपुर के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को फिर से लागू कर दिया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह निर्णय वहां की ‘लगातार अस्थिर स्थिति' को देखते हुए लिया गया। एक संयुक्त बयान में, 10 कुकी विधायकों ने कहा, ‘‘14 नवंबर, 2024 के आदेशों के अनुसार एएफएसपीए लगाने को लेकर वास्तव में शेष 13 पुलिस न्यायक्षेत्रों में अधिनियम का विस्तार करने के लिए तत्काल समीक्षा की आवश्यकता है।'' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल तीन मई से मेइती विद्रोहियों द्वारा लूटे गए 6,000 से अधिक अत्याधुनिक हथियारों की बरामदगी के लिए पूरे राज्य में एएफएसपीए लागू किया जाना चाहिए क्योंकि हिंसा को रोकने के लिए यह लंबे समय से अपेक्षित कार्रवाई है।

मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा तीन मई, 2023 को शुरू हुई। तब से अब तक हुई हिंसा में 220 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के विधायकों द्वारा पारित किये गए प्रस्ताव की भी आदिवासी विधायकों ने आलोचना की। इस प्रस्ताव में सात दिनों के भीतर जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों के खिलाफ ‘जन अभियान' चलाने का आह्वान किया गया है।

कुकी विधायकों ने आरोप लगाया कि यह प्रस्ताव ‘विभाजनकारी, एकतरफा और सांप्रदायिक' था। उन्होंने यह भी दावा किया कि छह नागरिकों की मौत से संबंधित मामलों को एनआईए को सौंपने की मांग करने वाले प्रस्ताव से ‘सांप्रदायिक राज्य की गंध' आ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अनुशंसा करते हैं कि 3 मई, 2023 से घाटी और पहाड़ियों दोनों जगहों पर हुई सभी नागरिक हत्याओं की जांच एनआईए को सौंप दी जाए।''

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