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Maha Kumbh में 27 साल बाद पत्नी ने पति को अघोरी साधु के रूप में पहचाना, DNA टेस्ट से सच्चाई का चलेगा पता

Edited By Mahima,Updated: 30 Jan, 2025 09:59 AM

after 27 years in maha kumbh the wife recognized her husband as an aghori sadhu

झारखंड के एक परिवार ने 27 साल बाद महाकुंभ मेला में अपने लापता सदस्य गंगासागर यादव को पहचाना, जो अब एक अघोरी साधु बन चुके हैं। हालांकि, बाबा राजकुमार ने इनकार कर दिया है, लेकिन परिवार ने उनके शरीर पर मौजूद खास निशान देखकर यह दावा किया है। परिवार DNA...

नेशनल डेस्क: झारखंड के एक परिवार के लिए महाकुंभ मेला एक दिलचस्प और भावनात्मक मोड़ लेकर आया, जब उन्होंने 27 साल बाद अपने लापता सदस्य को ढूंढ निकाला। यह कहानी 1998 में पटना से लापता हुए गंगासागर यादव की है, जो अब एक अघोरी साधु बनकर प्रयागराज में महाकुंभ मेला में दिखाई दिए। हालांकि, परिवार का दावा है कि उन्होंने गंगासागर को बाबा राजकुमार के रूप में पहचाना, लेकिन उस व्यक्ति ने इनकार किया और खुद को वाराणसी का साधु बताया। अब परिवार ने इस मामले में DNA टेस्ट कराने का निर्णय लिया है ताकि सत्य सामने आ सके। 

परिवार को उनकी कोई खबर नहीं मिली
गंगासागर यादव 1998 में पटना जाने के बाद अचानक लापता हो गए थे और उनके परिवार को उनकी कोई खबर नहीं मिली थी। उनका परिवार, खासकर उनकी पत्नी धनवा देवी और दो छोटे बेटे कमलेश और विमलेश, उनके बिना जीवन जीने के लिए मजबूर हो गए थे। धनवा देवी ने अकेले ही अपने दोनों बेटों को पाला और हमेशा अपने पति की खोज में जुटी रहीं। 

कुंभ मेला में अघोरी बाबा के रूप में पहचान
हाल ही में, परिवार के एक रिश्तेदार ने महाकुंभ मेला में एक साधु को देखा जो गंगासागर यादव जैसा दिखता था। उन्होंने उस साधु की तस्वीर खींची और परिवार को भेजी। तस्वीर को देखकर परिवार के सदस्य गंगासागर को पहचान गए और इस विश्वास के साथ कुंभ मेले पहुंचे कि वह उनका खोया हुआ सदस्य है। 

बाबा राजकुमार का इनकार
जब परिवार ने बाबा राजकुमार से संपर्क किया और उन्हें गंगासागर यादव के रूप में पहचाना, तो उन्होंने इस दावे का पूरी तरह से खंडन किया। बाबा राजकुमार ने खुद को वाराणसी का साधु बताते हुए कहा कि उनका गंगासागर यादव से कोई संबंध नहीं है। उनके साथ मौजूद एक साध्वी ने भी बाबा राजकुमार के इस बयान का समर्थन किया। उन्होंने बताया कि बाबा राजकुमार का जीवन पूरी तरह से साधुता से जुड़ा हुआ है और वह किसी से भी संबंध नहीं रखते हैं। 

शरीर पर कुछ विशेष पहचान चिह्न
हालांकि, परिवार ने दावा किया कि उन्होंने बाबा राजकुमार को पहचानने में कोई गलती नहीं की। उन्होंने कहा कि साधु के शरीर पर कुछ विशेष पहचान चिह्न हैं, जैसे लंबे दांत, माथे पर चोट का निशान और घुटने पर एक पुराना घाव, जो गंगासागर यादव के लापता होने से पहले थे। यह सब उनके परिवार को विश्वास दिलाता है कि वह वही व्यक्ति है। परिवार ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई और मामले की जांच के लिए DNA टेस्ट की मांग की। गंगासागर के छोटे भाई मुरली यादव ने कहा, "हम कुंभ मेला खत्म होने तक इंतजार करेंगे। अगर हमें यह साबित करने के लिए DNA टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ी तो हम वह करेंगे। यदि जांच में हमारा दावा गलत साबित हुआ, तो हम बाबा राजकुमार से माफी मांग लेंगे।" 

घटनाक्रम के बाद परिवार को एक नई उम्मीद
गंगासागर यादव के लापता होने के बाद उनका परिवार बुरी तरह टूट चुका था, खासकर उनके बड़े बेटे की उम्र तब केवल दो साल थी। अब इस घटनाक्रम के बाद परिवार को एक नई उम्मीद मिली है, लेकिन वे भी सच का पता लगाने के लिए बेहद सतर्क हैं। परिवार के कुछ सदस्य अब भी कुंभ मेला में बाबा राजकुमार पर नजर रखे हुए हैं, जबकि कुछ लोग घर लौट चुके हैं। गंगासागर यादव के परिवार के लिए यह एक भावनात्मक और दिलचस्प यात्रा रही है, और अब यह देखना बाकी है कि DNA टेस्ट से क्या सच्चाई सामने आती है। क्या यह परिवार एक गलतफहमी का शिकार हो गया है, या क्या यह सच में उनका लापता सदस्य गंगासागर यादव ही है?

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