बाल विवाह के बाद बेटियों के पैरों में पहना दी जाती हैं 'बेड़ियां', बंधन तोड़ने पर ससुराल वाले मांगते हैं लाखों रुपए

Edited By Parminder Kaur,Updated: 17 Dec, 2024 11:45 AM

after child marriage  shackles  are put on the feet of daughters

राजगढ़ जिले के खिलचीपुर के बिसलाई गांव में एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां सड़क किनारे एक घर के बाहर दो सहेलियां चांदी के कड़े पहने बैठी हैं। इनमें से एक 14 वर्षीय मुस्कान (बदला हुआ नाम) है, जिसकी सगाई हो चुकी है। उसकी सहेली का बाल...

नेशनल डेस्क. राजगढ़ जिले के खिलचीपुर के बिसलाई गांव में एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां सड़क किनारे एक घर के बाहर दो सहेलियां चांदी के कड़े पहने बैठी हैं। इनमें से एक 14 वर्षीय मुस्कान (बदला हुआ नाम) है, जिसकी सगाई हो चुकी है। उसकी सहेली का बाल विवाह हो चुका है। दोनों को सगाई या शादी का असल मतलब नहीं पता, लेकिन उनके पैरों में पहने चांदी के कड़े उनकी आजादी को छिनने का प्रतीक बन चुके हैं। दोनों ने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी है।

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यह सिर्फ मुस्कान और उसकी सहेली की कहानी नहीं है, बल्कि राजगढ़ जिले के 50 गांवों में 700 से ज्यादा बच्चों के साथ यह कुप्रथा हो रही है। महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से अहिंसा वेलफेयर सोसायटी ने कुप्रथा से प्रभावित गांवों और बच्चों की पहचान की है। इन बच्चों की उम्र 1 से 10 साल के बीच है और इनमें से अधिकतर की या तो सगाई हो चुकी है या उनका बाल विवाह हो चुका है।

सगाई और बाल विवाह का कारण

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राजगढ़ के ग्रामीण इलाकों में अपराध छिपाने के लिए 1 से 2 साल की उम्र में बच्चों की सगाई कर दी जाती है। यह कुप्रथा समाज में बाल विवाह को बढ़ावा देती है, क्योंकि छोटे बच्चों की सगाई को एक "वचन" के रूप में देखा जाता है, ताकि भविष्य में बाल विवाह को कानूनी तौर पर सही ठहराया जा सके। अहिंसा वेलफेयर सोसायटी के अरुण सातलकर ने बताया कि वे इन बच्चों के माता-पिता से एक लिखित संकल्प पत्र ले रहे हैं, जिसमें वे बाल विवाह न कराने का वादा करते हैं।

बाल विवाह की शिकार बच्चियां

6 वर्षीय अनीता (बदला हुआ नाम) कक्षा 1 में पढ़ाई कर रही है। दो साल की उम्र में उसकी बाल सगाई कर दी गई थी और उसे पैरों में चांदी के कड़े पहनाए गए। जब अहिंसा वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों ने अनीता से बातचीत की, तो उसने अपनी स्थिति के बारे में जानकारी दी। इसके बाद सोसायटी ने अनीता के परिवार से एक संकल्प पत्र लिया, जिसमें बाल विवाह से बचने का वचन लिया गया।
बाल विवाह से जुड़े गंभीर मुद्दे

राजगढ़ जिले के रायगढ़ गांव में 10 किमी दूर एक और दर्दनाक घटना घटी। सुनीता (बदला हुआ नाम) का बाल विवाह हो चुका था। कुछ समय बाद सुनीता के ससुराल वालों ने उसे घर से बाहर निकाल दिया और 8 लाख रुपए की मांग की। मामला पंचायत में पहुंचा, जहां पंचायत ने भी यह रकम देने की बात की। अब सुनीता के माता-पिता मजदूरी कर यह बड़ी रकम जुटाने में लगे हुए हैं।

बाल विवाह के खिलाफ उठ रही आवाजें

इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि राजगढ़ जिले में बाल विवाह और सगाई की कुप्रथा अब भी आम है। इस समस्या को खत्म करने के लिए कई सामाजिक संगठन और सरकारी विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। अहिंसा वेलफेयर सोसायटी और महिला बाल विकास विभाग की कोशिशों से कई परिवारों में जागरूकता आई है और अब वे अपनी बेटियों को इस कुप्रथा से बचाने के लिए संकल्प ले रहे हैं। बाल विवाह एक गंभीर अपराध है, जो बच्चों के भविष्य को नष्ट कर देता है। यह जरूरी है कि समाज में इस कुप्रथा के खिलाफ और जागरूकता फैलाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं, ताकि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित और बेहतर भविष्य मिल सके।

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