Edited By vasudha,Updated: 29 Sep, 2020 04:29 PM
महाराष्ट्र के पालघर जिले में अधिकारियों को कांगो बुखार के संभावित प्रसार को लेकर सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। जिला प्रशासन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पशुपालकों, मांस विक्रेताओं और पशुपालन अधिकारियों के लिये यह चिंता का विषय है।...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के पालघर जिले में अधिकारियों को कांगो बुखार के संभावित प्रसार को लेकर सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। जिला प्रशासन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पशुपालकों, मांस विक्रेताओं और पशुपालन अधिकारियों के लिये यह चिंता का विषय है। क्राइमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर (सीसीएफएफ) को कांगो बुखार भी कहा जाता है। यह टिक (किलनी) के जरिये मनुष्य में फैलता है। पालघर पशुपालन विभाग के उपायुक्त डॉक्टर प्रशांत डी कांबले ने कहा कि इस संबंध में समय पर ऐहतियात बरतने की आवश्यकता है क्योंकि सीसीएचएफ का कोई विशेष अथवा उपयोगी इलाज नहीं है।
डॉक्टर ने कहा कि गुजरात के कुछ जिलों में यह बुखार पाया गया है और उसकी सीमा से लगे महाराष्ट्र के कुछ जिलों में इसके फैलने का खतरा है। पालघर गुजरात के वलसाड जिले के करीब है। विभाग ने अधिकारियों को सभी जरूरी ऐहतियाती कदम उठाने और उन्हें अमल में लाने का निर्देश दिया है।
कैसे फैसता है ये वायरस
- यह वायरल बीमारी एक विशेष प्रकार की किलनी के जरिये एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है।
- संक्रमित पशुओं के खून से और उनका मांस खाने से यह मनुष्य के शरीर में फैलती है।
- यदि समय पर रोग का पता नहीं चलता और समय पर इलाज नहीं होता है तो 30 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती है।
- इस रोग से पीड़ित पशुओं अथवा मनुष्यों के इलाज के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
कांगो बुखार के लक्षण
- कांगो वायरस की चपेट में आने पर सबसे पहले बुखार, मांसपेशियों व सिर में दर्द, चक्कर आना, आंखों मे जलन, रोशनी से डर लगना, पीठ में दर्द और उल्टी लगने जैसी दिक्कतें सामने आती हैं।
- रोगी का गला पूरी तरह बैठ जाता है।
- इसके अलावा सबसे खतरनाक स्थिति मुंह व नाक से खून आने जैसी होती है।
- इसके बाद शरीर के विभिन्न ऑर्गन भी फेल होने की स्थिति में पहुंच जाते हैं।