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जमीनें बेच दीं, रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए... 45 लाख खर्च करने के बाद अब US से डिपोर्ट हुआ सौरव

Edited By rajesh kumar,Updated: 16 Feb, 2025 02:27 PM

after land spending rs 45 lakh saurav been deported from us

अमेरिका द्वारा निर्वासित कर शनिवार रात सी-17 विमान से अमृतसर हवाई अड्डे पर भेजे गए 116 अवैध भारतीय प्रवासियों में से एक, सौरव ने भारत सरकार से मदद की अपील की है। सौरव ने बताया कि उनके माता-पिता ने उनकी विदेश यात्रा के लिए अपनी ज़मीन बेची और...

नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा निर्वासित कर शनिवार रात सी-17 विमान से अमृतसर हवाई अड्डे पर भेजे गए 116 अवैध भारतीय प्रवासियों में से एक, सौरव ने भारत सरकार से मदद की अपील की है। सौरव ने बताया कि उनके माता-पिता ने उनकी विदेश यात्रा के लिए अपनी ज़मीन बेची और रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए, कुल मिलाकर लगभग 45 लाख रुपए खर्च हुए थे। अब जब सौरव भारत वापस लौट आए हैं, तो वह अपने खर्चे का हिसाब चुकता करने के लिए कोई रास्ता नहीं देख पा रहे हैं।

US पहुंचने पर पुलिस ने किया गिरफ्तार 
सौरव ने कहा, "मैं 27 जनवरी को अमेरिका पहुंचा था, और वहां पहुंचते ही कुछ घंटों में ही पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर लिया। हमें पुलिस स्टेशन ले जाया गया और फिर कुछ समय बाद एक कैंप में भेजा गया। हम करीब 15-18 दिन तक उस कैंप में रहे। कोई भी हमारी बात सुनने के लिए तैयार नहीं था। दो दिन पहले हमें बताया गया कि हमें दूसरे कैंप में भेजा जा रहा है, और फिर फ्लाइट में चढ़ने पर हमें बताया गया कि हमें भारत भेजा जा रहा है।"

ज़मीनें बेच दीं, रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए
सौरव ने आगे कहा, "मेरे माता-पिता ने हमारी ज़मीनें बेच दीं और रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए, ताकि मुझे विदेश भेज सकें। मैंने वहां जाने के लिए करीब 45 लाख रुपए खर्च किए। मेरे माता-पिता के लिए यह बहुत बड़ा कदम था, लेकिन अब वह सब बेकार चला गया है। मैं सरकार से मदद की उम्मीद करता हूं क्योंकि इस यात्रा में किए गए खर्चे का कोई फायदा नहीं हुआ।"


17 दिसंबर को भारत छोड़ा, एक हफ्ते मलेशिया रहा
सौरव ने अपने सफर के बारे में बताते हुए कहा, "मैंने 17 दिसंबर को भारत छोड़ा था और सबसे पहले मलेशिया गया, जहां एक हफ्ते तक रहा। फिर मुंबई गया और 10 दिन वहां रुका। मुंबई से, मैंने एम्स्टर्डम, फिर पनामा और फिर मैक्सिको यात्रा की। मैक्सिको से हमें अमेरिका की सीमा पार करने में 3-4 दिन लगे। हम अमेरिकी अधिकारियों से सहयोग करते रहे, लेकिन हमारी कोई नहीं सुनी गई।"

सरकार से मांगी मदद 
सौरव ने यह भी कहा कि जब वह कैंप में थे, तो उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए थे और घरवालों से संपर्क नहीं हो सका। अब सौरव भारत लौट चुके हैं, लेकिन उनके लिए सरकार से मदद की अपील करना ही एकमात्र रास्ता है।

 

 

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