रेप करने के बाद चुराता था महिलाओं के अंडरगारमेंटस, विधवा औरतों को भी नहीं बख्शा, बेंगलुरु दरिंदे की खौफनाक कहानी

Edited By Parveen Kumar,Updated: 16 Sep, 2024 08:57 PM

after raping he used to steal women s undergarments

90 के दशक में बेंगलुरु की सड़कों पर एक खौफनाक अपराधी खुलेआम घूम रहा था, जिसने शहर में आतंक का माहौल पैदा कर दिया था। इस अपराधी का नाम सुनते ही महिलाएं भय से थर-थर कांपने लगती थीं।

नेशनल डेस्क : 90 के दशक में बेंगलुरु की सड़कों पर एक खौफनाक अपराधी खुलेआम घूम रहा था, जिसने शहर में आतंक का माहौल पैदा कर दिया था। इस अपराधी का नाम सुनते ही महिलाएं भय से थर-थर कांपने लगती थीं। साल 2022 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई डॉक्यूसीरीज 'इंडियन प्रीडेटर: बीस्ट ऑफ बैंगलोर' ने इसी खतरनाक हत्यारे की कहानी को उजागर किया है।

इस डॉक्यूसीरीज में दिखाया गया है कि वह अपराधी कौन था, उसकी गतिविधियां क्या थीं और महिलाओं को उसके नाम से क्यों इतना डर लगता था। रेड्डी ने अविवाहित और विधवा महिलाओं को अपना निशाना बनाना शुरू किया। उसके अपराध का पैटर्न ऐसा था कि वो पहले महिलाओं के साथ दुष्कर्म करता और फिर उनके आभूषण और कपड़े चुराकर फरार हो जाता। उसकी हैवानियत यहीं नहीं रुकती थी, वो उन महिलाओं की हत्या कर देता था ताकि वो अपने कुकर्मों का पर्दाफाश होने से बचा सके। रेड्डी के खौफ का आलम यो था कि महिलाओं ने घर से बाहर निकलने में भी डर महसूस करना शुरू कर दिया था।

उमेश का जन्म से अब तक का सफर

उसका नाम था उमेश रेड्डी, जिसे लोग बैंगलोर का दरिंदा कहते थे। ये एक ऐसा सीरियल किलर था, जिसकी दरिंदगी ने न सिर्फ कर्नाटक राज्य बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उमेश रेड्डी के क्रूर अपराधों को सीरीज में दिखाया गया है। इस सीरीज में उस खौफनाक कहानी को सामने लाया गया है, जिसमें रेड्डी ने महिलाओं पर किए गए हिंसात्मक कुकर्मों से समाज को हिलाकर रख दिया था। उमेश रेड्डी का आपराधिक सफर 1996 में शुरू हुआ, जब वो एक अर्धसैनिक बल का सदस्य था।

जम्मू-कश्मीर में तैनात रेड्डी की विकृत मानसिकता तब सामने आई जब उसने एक वरिष्ठ अधिकारी की बेटी का यौन शोषण करने की कोशिश की। इस घटना के बाद वो कर्नाटक के चित्रदुर्ग लौट आया और जिला सशस्त्र रिजर्व में शामिल हो गया। डीएआर के अधिकारियों को उसके इतिहास के बारे में नहीं पता था। बस यहीं से उमेश रेड्डी की हैवानियत का असली चेहरा समाज के सामने आने वाला था।

महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराता था

उमेश रेड्डी की घिनौनी हरकतों का भयानक पहलू ये भी था कि वो महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराने का भी काम करता था। जब 1997 में बैंगलोर पुलिस ने उसे पकड़ा, तो उसके कमरे से बड़ी मात्रा में महिलाओं के इस्तेमाल किए गए अंडरगारमेंट्स बरामद हुए। इससे पुलिस को उसके मानसिक विकारों का अंदाजा हुआ और उसके अपराधों की गहराई का पता चला।

रेड्डी ने कुल 18 महिलाओं के साथ दुष्कर्म और उनकी हत्या की बात कबूली। हालांकि, कई अपराधों में सबूतों की कमी के कारण उसे सिर्फ 9 मामलों में दोषी ठहराया जा सका। साल 2006 में बैंगलोर की एक अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई, लेकिन 2022 में उसकी दया याचिका पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को कम करके 30 साल के कारावास में बदल दिया।

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